Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
राजपाल विदेश में पढ लिख कर आया है। उसको उसके पिता समजाते है की कैसे सत्यप्रकाश पहेले से कंपनी से जुडे हुए है। कैसे सिर्फ दो लोगो ने ही साबुन की फैक्टरी लगाई और बिझनस बढाया।
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नवीन को वह लडकी एक दुकान में मिल गई। जहां वह साडी खरीद रही थी लेकिन थोडे पैसे कम पड रहे थे। वह लडकी अपनी कडकी दुकानदार से छुपाना चाहती थी । नवीन ने एसे बात की के जैसे उसका पति हो और अपने पचास-सो रुपये जोड कर वस साडी खरीद ली। और खुद ही वह पैकेट उठा कर चलने लगा। वह लडकी मजबुरन पीछे चल पडी।
रोड पर आने तक वह शांत रही। फिर उसने नवीन को चिल्लाने की धमकी दी। नवीन ने कहा की वह द्कानवाला जानता है की हम पतिपत्नी है। तुम भी वहं पत्नी जैसी बातें कर रही थी। चिल्लाओ तुम, कोई फर्क नहीं पडेगा।
ईस तरफ फंसे जाने पर लडकी ने हार मान ली। सोरी कह दिया। नवीन ने उसे चाय पीने की शर्त पर साडी लौटाने का वादा किया।
दोनो रेस्टोरंट में बैठे थे। लडकीने अपना नाम बताया...कमलेश। (पहली और आखरी बार यह नाम नारी जाति के लिए पढा!) वह चाप भी नहीं पी रही थी और उदास भी थी। नवीन के पुछने पर बताया की कैसे उसके घर में प्रोब्लेम्स चल रहें है। सौतेली मां पैसे नहीं दे रही। फिल्म और खाने जैसे छोटी ईच्छाएं पुरी करने के लिए अगर वह यह सब कर ले तो कोन सी मुसीबत आ सकती है?
नवीन उसके आंसु देख कर पिघल जाता है। साडी लौटा देता है। फिर से मिलने को पुछने पर कमलेश मान जाती है।
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राजपाल के पिता अपनी तबियत को ले कर कंपनी में नहीं आ रहें है। क्युं की उसके सत्यप्रकाश के रहेते वह कंपनी में मनमानी नहीं कर सकता, वह किसी तरह सत्यप्रकाश को निकलवाना चाहता है।
ईस के लिए वह अपने मेनेजर कौशिक की मदद् लेता है। कुछ पांच हजार (नोवेल १९८० से पुरानी है।) वह सत्यप्रकाश के लिए निकालता है।
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मेनेजर कौशिक के घर राजपाल बैठा होता है। वह उसकी बेटी कमलेश से अत्यंत प्रभावित होता है। कौशिक ने शादी की लालच दे कर किसी तरह राजपाल का एक बंगलो अपनी बेटी के नाम करवा लेता है। फिर सभी उस बंगलो रहने के लिए जातें है। रास्ते में कुछ ज्वेलरी भी खरीदी जाती है। कमलेश भी बडी होशियारी से राजपाल को उल्लु बना रही होती है।
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उसी दिन बीच पर नवीन कमलेश की राह देख रहा होता है और कमलेश राजपाल के साथ वहां से निकलती है। नवीन को देख वह ठीठकती है लेकिन संभल कर निकल जाती है। नवीन को बुरा लगता है लेकिन क्या करे?!
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