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Originally Posted by Rajat Vynar
माफ़ कीजिएगा, सोनी पुष्पा जी.. दोस्ती से बड़ी एक चीज़ होती है वह है मोहब्बत. वर्ष १९६८ में लोकार्पित फिल्म आँखें का साहिर लुधियानवी का लिखा वह चर्चित गीत तो आपने सुना ही होगा-
मिलती है ज़िन्दगी में मोहब्बत कभी कभी
होती है दिलबरो की इनायत कभी कभी
शर्मा के मुह ना फेर नज़र के सवाल पर
लाती है ऐसे मोड़ पर किस्मत कभी कभी
खुलते नाही हैं रोज दरीचे बहार के
आती है जानेमन ए क़यामत कभी कभी
तनहा ना कट सकेंगे जवानी के रास्ते
पेश आएगी किसीकी ज़रूरत कभी कभी
फिर खो ना जाये हम कही दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मुहलत कभी कभी
होती है दिलबरो की इनायत कभी कभी
मिलती है ज़िन्दगी में मोहब्बत कभी कभी..
और अब सच्चे दोस्त रहे ही कहाँ? दोस्तों के नाम पर मेरे पास एक लंबी-चौड़ी फौज है मगर सच्चा कौन है कुछ पता नहीं चल पा रहा है. इसलिए सच्चे दोस्तों की पहचान के लिए पिछले वर्ष से ‘स्टिंग ऑपरेशन’ किया जा रहा है. जल्द ही सच्चे दोस्तों की वास्तविक संख्या पता चल जायेगी. कुछ पुराने अच्छे दोस्तों को सच्चा दोस्त बनने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. उनके लिए इनामी योजना भी निकाली जा रही है.
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omg
फिर से एक गाना ..रजत जी लगता है आपके पास गानों का भंडार भरा हुआ है , नही गानों की भी थोक की दुकान है आपके पास .. रही बात दोस्ती की तो ये सही है की आज दोस्ती में मिलावट आ गई है लेकिन सब जगह ये बात सही नही लगती मुझे , क्यूंकि मेरी जितनी फ्रेंड्स हैं वो सब बहुत अच्छी है और सच्ची हैं और हाँ आप भी देख लीजियेगा स्टिंग opration के माध्यम से की आपके दोस्त सही है या झूठे हैं ...