Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
कॉलेज से दौड़ कर आया तो घर में कोहराम मचा हुआ था। फूआ गरम थी और उसके बगल में रीना की मां भी बैठी हुई थी।
‘‘कोढ़ीया, उमता गेलहीं हे। सांपा के पकरो हीं, हीरो बनोहीं’’ फूआ कह रही थीं वहीं रीना की मां भी समझाने लगी,
‘‘हां बबलु बउआ, ई की करो हो, हमर घर में तो देखों कोहराम मच गेलई, कुछ हो जाइते हल तब बोलहो हमहीं ने बदनाम होतिओ हल।’’
मैं चुप रहा।
उधर, रीना का गुस्सा भी सांतवें आसमान पर था इस बात की मुझे गारंटी थी पर कई घंटों तक वह जब नजर नहीं आई तो इसकी पुष्टी हो गई।
रीना को रिझाने के लिए बचपन से ही कई तरह की हरकत करता रहा हूं। इसी कड़ी में कभी घर के सामने स्थित तलाब, जिसे एक बार तैर कर पार करना अच्छे अच्छे तैराक के लिए मुश्किल होता, मैं तीन चार-बार लगातार तैरता रहता और जब फूआ को इस बात का पता लगता तो वह घर से ही चिल्लाती,
‘‘अरे छौंड़ा उमता गेलहीं रें’’ तब बंद करता।
एक दिन ऐसा ही हुआ। शाम की बेला थी और मैं बैल को खेत से लेकर आ रहा था। धान की रोपनी का समय था। फूफा छोटे किसान थे मात्र तीन बीधा खेत थी जिसके उपज के सहारे ही सारा कारोबार जीवन का चलना था। छोटे किसानों के लिए एक जोड़ी बैल रखना मुश्किल था सो एक अन्य छोटे किसान के एक बैल के साथ भांजा करना पड़ता। दोनों की खेती मिलकर चलती। मेरा भांजा ललन राम के बैल के साथ था। हल खोल कर बैल को घर पहूंचने के लिए जा रही रहा था कि रीना के घर के पास बैल भड़क कर भाग गया और वहीं खड़ी रीना हंसते हुए बोल पड़ी,
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 28-08-2014 at 10:56 PM.
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