Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
बस जाकर पटना के हार्डिंग पार्क बस अड्डे पर रूकी और फिर वहां से एक रिक्सा लेकर उसे स्टेशन रोड में स्थित होटल में ले जाने को कहा। कई होटलों में गया पर किसी ने कमरा नहीं दिया। इसका कारण शायद यही था कि लड़का-लड़की देख कर सभी समझ जाते थे कि घर से भागे हुए है। खास कर दोनों के चेहरे के भाव ही ऐसे थे जैसे कहा जा सकता है कि चेहरे हवाईयां उडी हुई हो। रिक्सावाला के कहने पर धर्मशाला में शरण मांगी पर वहां भी नहीं मिला और फिर अन्त में हार रेलवे स्टेशन का रूख किया। यह सब करते-कराते दस से उपर बज गए। रेलवे गेस्ट रूम में बिना टिकट कटाए ही जाकर बैठ गया। इस सब के बीच भी वह चुप ही रहती और मैं भी खामोश। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। यहां से आगे मैं जाना नहीं चाहता था और इसके कई प्रमुख कारण भी थे। एक तो यह कि यहां से आगे कभी गया नहीं और जाने पर कोई अपना था भी नहीं और दूसरा यह कि महानगरों के बारे मे कई तरह की बुरी खबरें सुन रखी थी या सिनेमा में देख रखा था, सो यहां बैठ कर ही सोंच रहा था कि क्या करना है। फिर एक टी स्टॉल से जाकर दो कप चाय, एक पैकेट बिस्कुट लेकर आया, बहुत कहने सुनने पर भी रीना ने केवल एक कप चाय ली। फिर क्या हुआ कि रीना ने थैले से आइना कंधी निकाला और अपने बाल संवारने लगी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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