20-01-2012, 05:04 PM
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#115
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Special Member
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Re: छींटे और बौछार
- आज फिर से क्या हुआ की आँखें मेरी नम है,
ठहर जा ऐ अश्क मेरे , और भी तो गम हैं,|
मुन्तजिर मेरा भी है, मेरे सूने घर में,
एक घडी है दीवार पर जिसको देखते हम हैं |
उम्र मेरी लग जाए ना,एक गुत्थी को सुलझाने में,
छोटी है ज़िन्दगी मेरी , और कितने पेचोखम हैं |
मज़ा क्या जीने का है, गर पा लिया मोहब्बत,
आशिक तो आशिकी में लेते सौ जनम हैं|
कोई जबाब आता नहीं, अब सवाल-ए-वस्ल का ,
थोड़े से मशरूफ हम हैं, थोड़े मेरे सनम हैं|
खौफ से कातिल के वो मर गया जागते हुए,
जिंदा है अब तक वही ,जो सोते हरदम हैं |
उम्र लग जाती है 'मियां' प्यार के इज़हार में,
आज हमने कह दिया ,क्या इतने बेशरम हैं |
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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