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Old 16-11-2010, 11:31 PM   #6
jai_bhardwaj
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Default Re: प्रेम, प्रणय और धोखा

सब अपनी बीवी को चाहें, सूरत से और शिद्दत से /

नारि परायी पर जा अटकें, मर्द बेशरम इस आदत से //




अब ऐसे इंसा लाखों हैं, जो हर साल बना दें ताजमहल /

'जय' वैसे अब ना शाहजहाँ, ना वैसी अब मुमताजमहल //
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
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