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:
छींटे और बौछार
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24-10-2012, 10:36 AM
#
118
ndhebar
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Re: छींटे और बौछार
तेरी यादें
बहुत देर से
कोशिश कर रहा हुं
आंखों में समेटने की
और बहुत देर से
हारता जा रहा हुं
जाने कैसे
पलको से गिर ही जाते हैं
मेरे आसुं
शायद ये भी
तेरी यादों की तरह हैं
न चाहते हुए भी आ ही जाते हैं
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
ndhebar
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