Re: डार्क सेंट की पाठशाला
वादे छोटे, परिणाम बड़े
अगर आप जानते हैं कि आप कोई काम बुधवार तक कर सकते हैं, तो हमेशा शुक्रवार तक का समय मांगें। अगर आप जानते हैं कि आपके विभाग को एक हफ्ते का समय लगेगा, तो दो हफ्ते का समय मांगें। अगर आप जानते हैं कि किसी मशीन को इंस्टॉल करने और चालू करने के लिए दो अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी, तो तीन मांगें। यह बेईमानी नहीं समझदारी है; लेकिन अगर यह राज खुल जाए और सबको पता लग जाए कि आप ऐसा करते हैं, तब क्या करें? बस, सहजता से और ईमानदारी के साथ इसे स्वीकार कर लें। कहें कि आप अनुमान लगाते समय हमेशा आपातकालीन स्थितियों को भी शामिल करते हैं। इसके लिए वे आपको फांसी पर नहीं लटका सकते। यह पहली चीज है। छोटे वादे करें। अगर आपने शुक्रवार या दो हफ्ते या जो भी कहा है, तो इसका यह मतलब नहीं कि आप इस अतिरिक्त अवधि में मजे कर सकते हैं और गप्पे लड़ा सकते हैं। कतई नहीं। आपको तो यह सुनिश्चित करना है कि आप बड़े परिणाम दें, निर्धारित बजट में दें और वादे से बेहतर दें। यह दूसरा हिस्सा है। परिणाम ज्यादा दें। इसका मतलब है कि अगर आपने सोमवार तक रिपोर्ट देने का वादा किया है, तो यह उस वक्त तक न केवल पूरी हो जाए, बल्कि उसमें कुछ अतिरिक्त भी जुड़ा हो। यह न सिर्फ एक रिपोर्ट हो, बल्कि इसमें एक नई इमारत के लिए पूरी अमली योजनाएं भी शामिल की गई हों। अगर आपने कहा हो कि आप रविवार तक अपने स्टाफ के दो अतिरिक्त सदस्यों के साथ प्रदर्शनी लगाएंगे, तो न सिर्फ ऐसा करें; बल्कि अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धी को शो से बाहर निकालने की व्यवस्था भी कर डालें। जब आप वादे छोटे करते हैं और परिणाम बड़े देते हैं, तो आपका लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। नियमों के खिलाड़ी के रूप में आपका लक्ष्य सिर्फ यह होना चाहिए कि आप कभी परिणाम देर से नहीं देंगे या कम नहीं देंगे। अगर आपको सारी रात खून-पसीना एक करना पड़े तो करें। बाद में ज्यादा देर लगाने और सामने वाले को निराश करने के बजाय पहले ही ज्यादा समय मांगना हमेशा और हर मामले में बेहतर होता है। वाहवाही लूटने के चक्कर में कभी उतावलापन नहीं करना चाहिए।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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