Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
कुछ अरसे बाद मोहीनी की शादी का अवसर आता है। शादी के दौरान पुलीस आ धमकती है । तलाशी में घर से वह पांच हजार पाए जातें है। जिसे शायद कौशिक ने रखें होंगे। ईस पर सत्यप्रकाश के समधी भडक उठतें है। वे शादी तोडना चाहतें है। ईस सीन बहुत अच्छी तरह लिखा गया है।
मोहीनी के फेरे तो पुरी हो ही चुके थे, सो उसका पति मोहीनी का पक्ष लेता है। सत्यप्रकाश के समधी के पास अब कोई ओर मोका नहीं है। वे मजबुरन दुल्हन ले तो जातें है लेकिन यह कह कर के वह अब वापस अपने पिता के घर कभी नहीं लौटेगी!
फिर सत्यप्रकाश को पुलिस ले जाती है, उसकी पत्नी यशोदा बेहोश हो कर गीर जाती है। नवीन उनको संभालता है।
यकायक पुरा हंसता खेलता परिवार जैसे की निराधार हो जाता है।
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मां के सरकारी अस्पताल में भर्ती है। पिता पर कोर्ट में केस चल रहा है। नवीन अकेला पड़ जाता है। उसके पक्के यार दोस्त कोई भी साथ नहीं होता। सत्यप्रकाश को छह महिने की जेल हो जाती है। नवीन तुट जाता है। सत्यप्रकाश को बचाने के लिए, मां के अस्पताल के खर्चे निकालने के लिए वह अपना घर वगैरह बेच चुका होता है।
दो दिन जैसे तैसे बित जातें है । तीसरे दीन सत्यप्रकाश से जेल में मिलने पर वह बताते है की नौकरी की आस छोड कर बिझनस करना चाहिए। वह अपने साबुन का पुराना फौर्मुला नवीन को देतें है।
नवीन के पास अब कुछ भी नहीं था। छत तक नहीं थी। भुखाप्यासा वह दोस्तों से मदद मांगने जाता है। उसे सिर्फ उस बिझनस में बहुत छोटा दस-पंद्रह हजार का ईन्वेस्टमेन्ट चाहिए। लेकिन सभी उसे मना कर देतें है, या बहाना बना देतें है।
नल का पानी पी कर नवीन बीच पर बैठा होता है। निराशाओं में लिपटा हुआ। वहां अचानक कमलेश से उसका सामना है। वह उससे नजर बचा कर निकलना तो चाह्ता है लेकिन कमलेश उसे पहचान लेती है।
नवीन को कमलेश से नफरत तो हो ही चूकी होती है। वह मुंह फेर के चलना चाहता है लेकिन चक्कर खा कर बेहोश हो जाता है।
यह मानो कहानी का ईन्टरवल है। अब तक जो चला आ रहा है वह निराशा का भंवर जलद ही खत्म होगा!
(मेरी कहानी कहने की स्पीड थोडी कम है। अनुराग और तिग्मांशु ईस दौरान दो बार दस दस मिनट का टाईम बढ चुके है। उन्हे कहानी भा गई है!)
Last edited by Deep_; 01-07-2015 at 07:57 PM.
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