रवि शहर नौकरी ढुंढ रहा है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल रही।
यहां एक बहुत ही हृदयस्पर्शी सीन जोडा गया है, जिस को शायद कम लोगों ने नोटिस किया होगा/याद रखा होगा। मुझे यह सीन बहुत पसंद आया।
https://youtu.be/iixTXX_0L4c?t=1m14s
फिल्म में यह सीन शायद जरा भी जरुरी नहीं था, कहानी से ईसका कोई तालुक भी नहीं था। लेकिन फिर भी...जीवन की करूणा और मानवता फिल्मों में होनी/दिखानी ही चाहिए; गुलज़ार जी यही मानते होंगे। सुपर्ब!