बिना मजबूत विपक्ष के भारतीय लोकतंत्र
बिना मजबूत विपक्ष के भारतीय लोकतंत्र
आज देश में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकत्र्ता के रूप में इस पर प्रसन्न हुआ जा सकता है परन्तु एक जागरूक नागरिक के तौर पर यह स्थिति चिंता का कारण है। लोकतंत्र सशक्त विपक्ष के बिना सफल नहीं हो सकता। मजबूत विपक्ष एक सफल और मजबूत लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में आज केवल कांग्रेस ही अखिल भारतीय पार्टी है। पूरे देश के सभी क्षेत्रों में अपनी पैठ रखने वाली कोई भी पार्टी नहीं है। यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्य की बात है कि 130 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी केवल एक ही परिवार में सीमित होकर रह गई है। गुजरात के चुनाव का परिणाम कांग्रेस के लिए ही नहीं, लोकतंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। बीजेपी यद्यपि छठी बार सत्ता पर काबिज़ हुई है लेकिन उसे कुछ सीटों का नुक्सान हुआ और उसके मुकाबले कांग्रेस ने अपनी स्थिति काफी मजबूत की है.
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद यद्यपि कांग्रेस हिमाचल में हार गयी है लेकिन विपक्षी दल के रूप में सार्थक भूमिका निभा सकती है। आज कोई अन्य पार्टी राष्ट्रीय पार्टी नहीं कही जा सकती। इतने बड़े देश में लाखों गांवों में कोई नई पार्टी बनाई भी नहीं जा सकती। शरद यादव एक बार फिर से विपक्षी दलों के टुकड़ों को जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे टूटे टुकड़े मिल कर विकल्प नहीं बन सकते। भारतीय लोकतंत्र में अच्छे और मजबूत विपक्ष की रिक्तता कैसे पूरी होगी, यह तो भविष्य ही बताएगा।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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