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लापता बच्चों का पता लगाएगा मोबाइल
दक्षेस देशों में नई तकनीक का शुरू होगा इस्तेमाल
कोलकाता। दक्षेस देशों की एक संस्था सीमा पार से मानव तस्करी से निपटने और लापता बच्चों का पता लगाने के लिए एक डिजिटल व्यवस्था को विकसित करने में जुटी है, जिसमें मोबाइल और जीपीएस तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। साउथ एशिया इनीशिएटिव टू एंड वायलेंस एगेंस्ट चिल्ड्रन (एसएआईईवीएसी) के महानिदेशक डॉ. रिनचेन छोपेल ने कहा कि अब हम गंभीरता से इस बारे में सोच रहे हैं कि किस प्रकार सीमा पार से जारी मानव तस्करी को डिजिटल तकनीक के माध्यम से रोक जा सकता है। उम्मीद है कि वर्ष 2015 के बाद, हमारे पास मोबाइल या जीपीएस तकनीक आधारित एक एकीकृत व्यवस्था होगी, जिसका इस्तेमाल दक्षेस के सभी आठ देशों में किया जा सकेगा। एसएआईईवीएसी दक्षिण एशिया में बच्चों को हिंसा, प्रताड़ना, शोषण, उपेक्षा तथा भेदभाव से संरक्षण प्रदान करती है। हाल ही में कोलकाता में चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट द्वारा लापता बच्चों पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग लेते हुए डॉ. छोपेल ने कहा था कि तकनीक मानव तस्करी का शिकार बने बच्चों का पता लगाने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की व्यवस्था के साथ, विभिन्न सरकारों के बीच सभी स्तरों पर आंकड़ों को साझा किया जाएगा, ताकि जब किसी देश में कोई बच्चा लापता होता है, तो पड़ोसी देशों की सरकारें उस पर सूचना हासिल कर सकें। इससे उनके लिए लापता बच्चे का पता लगाना और उसका पुनर्वास करने में उन्हें आसानी होगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस समय लापता और संवेदनशील बच्चों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक वेब आधारित व्यवस्था अपना रहा है। ऐसा अनुमान है कि हर साल पूरी दुनिया में करीब 12 लाख बच्चे मानव तस्करी का शिकार होते हैं और उन्हें वेश्यावृत्ति और जबरन विवाह का शिकार बनाया जाता है। इनमें से अधिकतर का इस्तेमाल सस्ते मजदूर, बंधुआ मजदूर, खेल-तमाशे और मानव अंगों की खेती के रूप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन्हें सशस्त्र समूहों में भी भर्ती किया जाता है। डॉ. छोपेल ने बताया कि एसएआईईवीएसी अब लापता बच्चों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होेंने कहा कि अपनी भू स्थिति के कारण भारत न केवल एक लक्षित देश है, बल्कि यह एक स्रोत और साथ ही मानव तस्करी के मार्ग के रूप में भी काम करता है। अधिकारी ने बताया कि इस समय दक्षेस देशों के बीच मानव तस्करी के पीड़ितों के सम्बंध में सीमा पारीय सहयोग के लिए कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है। हालांकि अब भारत और बांग्लादेश के बीच में एक आपसी सहमति ज्ञापन पर बातचीत हो रही है। दोनों देश सभी देशों में एक समान 1098 टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर सुनिश्चित करने पर भी काम कर रहे हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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