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Originally Posted by soni pushpa
बात आज की नहीं, न जाने कितने दशक पुरानी है
दुश्मन चीन की फितरत में तो भरी हुई बेईमानी है
कहते थे बरसो पहले तुम, हैं हिदी चीनी भाई भाई
फिर सीमा पर चुपके चुपके किसने थी आग लगाईं
फेंगसुई का बहाना करके क्यों अन्धविश्वास फैलाया
नकली और घटिया चीजों का भारत में जाल बिछाया
लड़ियाँ, घड़ियाँ और पटाखे, टीवी व ए.सी. दे गए
सस्ती चीज़े पकड़ा कर के हमसे वो करोड़ों ले गए
न समझ सके तब हम इन पाखंडियों की चाल को
जब तक सरहद पर वीरों ने न देखा चीनी जाल को
बेनक़ाब दुश्मन है उसका असली चेहरा देख लो
पहचानों और अभी रोक दो शत्रु है बहरा देख लो
हमें बेच कर चीजें अपनी, पैसा जो हमसे पायेगा
हथियार खरीदेगा उससे व हमको आँख दिखायेगा
सस्ता नहीं लहू हमारे किसी भी सैनिक भाई का
विषधर जैसे दुश्मन ने कब साथ दिया सच्चाई का
आदत से मजबूर है जो वो गन्दा खेल ही खेलेगा
एक अगर हों जायेंगे हम कब तक हमको झेलेगा
आज़ादी का पावन पर्व, पंद्रह अगस्त जब आयेगा
दुश्मन की छाती पर मूंग दलता तिरंगा फहरायेगा
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बहुत बढ़िया, आज की परिस्थितियों पर लिखी गई एक बेहतरीन रचना , जिसमें देश प्रेम की भावनाओं के साथ ही सभी के लिए एक संदेश और सीख निहित है |