Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
प्र. जीवन में किन-किन पड़ावों पर आपको बाबूजी और अम्मा की कमी बहुत अखरती है?
उ. प्रतिदिन कुछ न कुछ जीवन में ऐसा बीतता है, जब लगता है कि उनसे सलाह लेनीचाहिए, लेकिन वो हैं नहीं. लेकिन ये जीवन है, एक न एक दिन सबके साथ ऐसा हीहोगा. माता-पिता का साया जो है, ईश्वर न करें, लेकिन खो जाता है. लेकिन जोबीती हुई बातें हैं, उनको सोचकर कि यदि मां-बाबूजी जीवित होते, तो वो क्याकरते इन परिस्थितियों में? और फिर अपनी जो सोच रहती है उस विषय पर कि हां, मुझे लगता है कि उनका व्यवहार ऐसा होता, तो हम उसको करते हैं.
प्र. अपने अभिनय के बारे में बाबूजी की कोई टिप्पणी आपको याद है? वह आपके प्रशंसक थे या आलोचक?
उ. नहीं, वो बाद के दिनों में फ़िल्में वगैरह देखते थे और जो फिल्म उनको पसंदनहीं आती थी, वो कहते थे कि बेटा, ये फिल्म हमको समझ में नहीं आई कि क्याहै. हालांकि वो कुछ फिल्मों को पसंद भी करते थे और देखते थे. जब वो अस्वस्थ थे, तो प्रतिदिन शाम को हमारी एक फिल्म देखते थे.
प्र. कभी ऐसा पल आया, जब उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की हो कि आप फलां किस्म का रोल करें?
उ. ऐसा कभी उन्होंने व्यक्त नहीं किया. मैंने कभी पूछा भी नहीं. उनके लिए भी समस्या हो जाती और हमारे लिए भी.
प्र. क्या बाबूजी को अपना हीरो मानते हैं? उनकी कोई बात, जो आज भी आपको प्रेरणा और हिम्मत देती है?
उ. हां, बिल्कुल. साधारण व्यक्ति थे, मनोबल बहुत था उनमें, एक आत्मशक्ति थीउनमें. लेकिन खास तौर पर उनका आत्मबल. कई उदाहरण हैं उनके. एक बार वो कोईचीज़ ठान लेते थे, फिर वो जब तक खत्म न हो जाए, तब तक उसे छोड़ते नहीं थे.बाबूजी को पंडित जी (जवाहर लाल नेहरू) ने बुलाया और कहा कि ये आत्मकथालिखी है माइकल पिशर्ड ने. हम चाहते हैं कि इसका हिंदी अनुवाद हो, लेकिन येहमारे जन्मदिन के दिन छपकर निकल जानी चाहिए. अब केवल तीन महीने रह गए थे.तीन महीने में एक बॉयोग्राफी का पूरा अनुवाद करना और उसे छापना बड़ामुश्किल काम था, लेकिन बाबूजी दिन-रात उस काम में लगे रहे. जो उनकी स्टडीहोती थी, उसके बाहर वो एक पेंटिंग लगा देते थे. उसका मतलब होता था कि अंदरकोई नहीं जा सकता, अभी व्यस्त हूं. बैठे-बैठे जब वो थक जाएं, तो खड़े होकरलिखें, जब खड़े-खड़े थक जाएं, तो ज़मीन पर बैठकर लिखें. विलायत में भी वोऐसा ही करते थे. जब वो विलायत में अपनी पीएचडी कर रहे थे, तो उन्होंने अपने लिए एक खास मेज़ खुद ही बनाया. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि मेज़ खरीदसकें.
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