Re: इधर-उधर से
आबिद सुरती की पुस्तक 'काली किताब' से एक अंश
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आपने ‘लाल किताब’ के बारे में तो सुना ही होगा. क्या आप जानते हैं कि ऐसी ही एक ‘काली किताब’ भी है? जी हाँ, और इसके लेखक हैं कार्टूनिस्ट और कथाकार आबिद सुरती. यह किताब बाइबिल की तर्ज पर लिखी गयी एक व्यंग्य रचना है जिसमें शैतान और उसके पुत्र के ज़रिये आज के समाज का दोहरा चरित्र उघाड़ा गया है. मैंने यह पुस्तक करीब 35 वर्ष पहले पढ़ी थी और यह मेरे संग्रह में शामिल है. इसी किताब से एक मजेदार अंश प्रस्तुत है:
16. यम जमाल ने सबको संबोधित कर कहा 17. कि जो घोड़े अपंग हो जाते हैं, 18. उन घोड़ों को दाग़ दिया जाता है; 19. क्योंकि वे घोड़े किसी काम के नहीं होते. 20. इसी तरह जो स्त्री-पुरूष वृद्ध हो जाते हैं वे किसी काम के नहीं रहते; 21. बल्कि वे युवकों की प्रगति रोकते हैं. 22. इतना ही नहीं वे समाज की प्रगति में भी बाधा बन जाते हैं.
23. इसीलिए-
24. ऐसे वृद्ध कि जो बोझ समान हैं,
25. उन्हें जीवित ही दफना दो...
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 30-10-2017 at 07:41 PM.
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