Re: इधर-उधर से
दिल्ली में ट्राम सेवा
आपको यह जान कर हैरानी होगी कि अब से लगभग पचास साल पहले तक पुरानी दिल्ली के इसी इलाके में ट्राम चला करती थी. इस पृष्ठभूमि में मुझे अपने जीवन की एक घटना याद आ गयी. बात सन 1961 या 62 की है. होली के दिन थे जिसका हुड़दंग कई दिन पहले ही शुरू हो जाता था. उन दिनों होली में गुब्बारों का प्रचलन नया नया शुरू हुआ था. मैं और मेरे बड़े भाई दोनों ने गुब्बारे लाने के लिए सदर बाजार जाने का निश्चय किया. हम पटेल नगर में रहते थे. पटेल नगर से हम किसी प्रकार बाड़ा हिंदू राव पहुंचे. वहां से सदर तक के लिए या तो तांगे चलते थे या ट्राम. हमने ट्राम से ही जाने का निश्चय किया. वैसे भी ट्राम से यात्रा करने की हमारी बड़ी इच्छा थी. उस दिन हम ट्राम से ही सदर बाजार गए और गुब्बारे खरीदने के बाद ट्राम से ही वापिस बाड़ा हिंदू राव वापिस आ गए. तो मित्रो, यही मेरी ज़िन्दगी की पहली और आखिरी ट्राम यात्रा थी. उम्मीद करते हैं कि कुछ वर्ष बाद जब सदर बाजार इलाके में ट्राम फिर से चलना शुरू हो जायेगी, हम पुनः उसका लुत्फ़ ले सकते हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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