अदालत में मिसिज सहगल कहती है की कामना के संबंध पहले से ही उस गुंडे के साथ थे। बसंत उलझन में पड जाता है। कामना से कस्टडी में ईस के बारे में पुछने पर कामना झुंझला जाती है। उसे बेहद दुख होता है। लेकिन अब बसंत को मिसिज सहगल पर शक होने लगता है।
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दुसरी सुनवाई में कामना की पालक मां का सामना मिसिज सहगल से हो जाता है। वह तैश में ही मिसिज सहगल को सच्चाई बताती है....कि जिस को वह बदनाम कर के जेल में भीजवाया है वह कामना असल में उसी की बेटी है।
मिसिज सहगल पछतावे में डुब जाती है। उसे यह एहसास होता है की उसने कितना बडा गुनाह किया है। आखिरकार वह अपना बयान जज को सुनाती है कि कैसे उसने कामना को बुलाया, गुंडे को भेजा और भरी हई बंदुक को मेज़ पर रखा था। अदालत मिसिज सहगल को सजा सुनाती है