View Single Post
Old 14-06-2012, 08:39 PM   #19
anjaan
Special Member
 
anjaan's Avatar
 
Join Date: Jun 2010
Location: Jhumri Tillaiya
Posts: 2,429
Rep Power: 21
anjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of lightanjaan is a glorious beacon of light
Default Re: हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचनाये

मुंडन


किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची। हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था। कल तक उनके सिर पर लंबे घुँघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक मुंडन हो गया था।
सदस्यों में कानाफूसी हो रही थी कि इन्हें क्या हो गया है। अटकलें लगने लगीं। किसी ने कहा - शायद सिर में जूँ हो गई हों। दूसरे ने कहा - शायद दिमाग में विचार भरने के लिए बालों का पर्दा अलग कर दिया हो। किसी और ने कहा - शायद इनके परिवार में किसी की मौत हो गई। पर वे पहले की तरह प्रसन्न लग रहे थे।
आखिर एक सदस्य ने पूछा - अध्यक्ष महोदय! क्या मैं जान सकता हूँ कि माननीय मंत्री महोदय के परिवार में क्या किसी की मृत्यु हो गई है?
मंत्री ने जवाब दिया - नहीं।
सदस्यों ने अटकल लगाई कि कहीं उन लोगों ने ही तो मंत्री का मुंडन नहीं कर दिया, जिनके खिलाफ वे बिल पेश करने का इरादा कर रहे थे।
एक सदस्य ने पूछा - अध्यक्ष महोदय! क्या माननीय मंत्री को मालूम है कि उनका मुंडन हो गया है? यदि हाँ, तो क्या वे बताएँगे कि उनका मुंडन किसने कर दिया है?
मंत्री ने संजीदगी से जवाब दिया - मैं नहीं कह सकता कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं!
कई सदस्य चिल्लाए - हुआ है! सबको दिख रहा है।
मंत्री ने कहा - सबको दिखने से कुछ नहीं होता। सरकार को दिखना चाहिए। सरकार इस बात की जाँच करेगी कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं।
एक सदस्य ने कहा - इसकी जाँच अभी हो सकती है। मंत्री महोदय अपना हाथ सिर पर फेरकर देख लें।
मंत्री ने जवाब दिया - मैं अपना हाथ सिर पर फेरकर हर्गिज नहीं देखूँगा। सरकार इस मामले में जल्दबाजी नहीं करती। मगर मैं वायदा करता हूँ कि मेरी सरकार इस बात की विस्तृत जाँच करवाकर सारे तथ्य सदन के सामने पेश करेगी।
सदस्य चिल्लाए - इसकी जाँच की क्या जरूरत है? सिर आपका है और हाथ भी आपके हैं। अपने ही हाथ को सिर पर फेरने में मंत्री महोदय को क्या आपत्ति है?
मंत्री बोले - मैं सदस्यों से सहमत हूँ कि सिर मेरा है और हाथ भी मेरे हैं। मगर हमारे हाथ परंपराओं और नीतियों से बँधे हैं। मैं अपने सिर पर हाथ फेरने के लिए स्वतंत्र नहीं हूँ। सरकार की एक नियमित कार्यप्रणाली होती है। विरोधी सदस्यों के दबाव में आकर मैं उस प्रणाली को भंग नहीं कर सकता। मैं सदन में इस संबंध में एक वक्तव्य दूँगा।
शाम को मंत्री महोदय ने सदन में वक्तव्य दिया - अध्यक्ष महोदय! सदन में ये प्रश्न उठाया गया कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं? यदि हुआ है तो किसने किया है? ये प्रश्न बहुत जटिल हैं। और इस पर सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं दे सकती। मैं नहीं कह सकता कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं। जब तक जाँच पूरी न हो जाए, सरकार इस संबंध में कुछ नहीं कह सकती। हमारी सरकार तीन व्यक्तियों की एक जाँच समिति नियुक्त करती है, जो इस बात की जाँच करेगी। जाँच समिति की रिपोर्ट मैं सदन में पेश करूँगा।
सदस्यों ने कहा - यह मामला कुतुब मीनार का नहीं जो सदियों जाँच के लिए खड़ी रहेगी। यह आपके बालों का मामला है, जो बढ़ते और कटने रहते हैं। इसका निर्णय तुरंत होना चाहिए।
मंत्री ने जवाब दिया - कुतुब मीनार से हमारे बालों की तुलना करके उनका अपमान करने का अधिकार सदस्यों को नहीं है। जहाँ तक मूल समस्या का संबंध है, सरकार जाँच के पहले कुछ नहीं कह सकती।
जाँच समिति सालों जाँच करती रही। इधर मंत्री के सिर पर बाल बढ़ते रहे।
एक दिन मंत्री ने जाँच समिति की रिपोर्ट सदन के सामने रख दी।
जाँच समिति का निर्णय था कि मंत्री का मुंडन नहीं हुआ था।
सत्ताधारी दल के सदस्यों ने इसका स्वागत हर्ष-ध्वनि से किया।
सदन के दूसरे भाग से 'शर्म-शर्म' की आवाजें उठीं। एतराज उठे - यह एकदम झूठ है। मंत्री का मुंडन हुआ था।
मंत्री मुस्कुराते हुए उठे और बोले - यह आपका ख्याल हो सकता है। मगर प्रमाण तो चाहिए। आज भी अगर आप प्रमाण दे दें तो मैं आपकी बात मान लेता हूँ।
ऐसा कहकर उन्होंने अपने घुँघराले बालों पर हाथ फेरा और सदन दूसरे मसले सुलझाने में व्यस्त हो गया।
anjaan is offline   Reply With Quote