Re: ग़ज़ल- मुझे आजकल नीँद आती कहाँ है
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Originally Posted by आकाश महेशपुरी
ग़ज़ल- मुझे आजकल...
मुझे आजकल नीँद आती कहाँ है
कि यादोँ मेँ आ के वो जाती कहाँ है
वो मय सी निगाहेँ अदाएँ नशीली
है सबकुछ मगर वो पिलाती कहाँ है
उसे चोर साबित करूँ मैँ कसम से
पता जो चले दिल छुपाती कहाँ है
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वाह वाह, ग़ज़ल पढ़ कर मन गद गद हो गया. विचार और अभिव्यक्ति कमाल की है. एक उत्कृष्ट ग़ज़ल हमसे शेयर करने के लिये धन्यवाद.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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