Re: क्या हार जीवन का अंत है?
मेरी भगवान से हमेशा यही प्रार्थना होती है कि, “हे ईश्वर मुझे आसान सी जीत नहीं बल्कि हिम्मत दें, हर हार के बाद एक नई राह दें, आप मुझे तब तक परखो, जब तक मुझे मेरे मुक्कदर का कोहिनूर हीरा नहीं मिल जाता.”
आज के मेरे युवा दोस्तों की सबसे बड़ी रुकावट, हार का डर और उसके बाद की शर्मिंदगी का एहसास है, जो उन्हें आगे बढ़ने नहीं देता है. कुदरत का एक नियम है, गुलाब की खूशबू उसे ही मिलती है, जिसमें कांटो को सहन करने की ताकत भी होती है. गुलाब के किसी पौधे पर कांटे कम या ज्यादा हो सकते हैं, पर कांटो के बिना गुलाब नहीं खिलता है.
जिस दिन आपने असफलता से अनुभव लेकर आगे बढ़ने की ठान ली, उस दिन आपकोसफलता की मंजिल पर पहुँचने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोकसकती. हार आपकेजीवन का पूर्ण विराम नहीं बल्कि यह आपके गुणों की परीक्षा है, जिसमें आपकोसफल होकर आगे बढ़ना है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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