तुम्हारी अधखुली पलकों में
ये कैसी मदिरा बहती है /
तुम्हारे अधखिले अधरों में
क्यों गुलाबी धारा बहती है //
तुम्हारे 'जय' कपोलों के उभारों
की सतह स्निग्ध है कितनी
तुम्हारी विस्तृत बाहें क्यों
सुखद सी कारा लगती हैं //
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कारा...... जेल
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