Thread
:
छींटे और बौछार
View Single Post
09-11-2010, 10:26 PM
#
44
jai_bhardwaj
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power:
99
तुम्हारे नयनों की जिह्वा
मुझे क्यों चाटती रहती ?
हृदय के बंधनों को वह
सहज ही काटती रहती /
भयंकर ज्वार लाती 'जय'
शिराओं में, लहू में भी,
प्रिये तुम दृष्टि तो फेरो
मुझे यह मारती रहती //
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।
कभी कभी -->
http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा:
https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj
View Public Profile
Send a private message to jai_bhardwaj
Find More Posts by jai_bhardwaj