View Single Post
Old 19-08-2013, 09:18 PM   #1
dipu
VIP Member
 
dipu's Avatar
 
Join Date: May 2011
Location: Rohtak (heart of haryana)
Posts: 10,193
Rep Power: 90
dipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond reputedipu has a reputation beyond repute
Send a message via Yahoo to dipu
Default आधी कीमत पर भी मिले शेयर तो हरगिज न खरीदना भ&

रुपया 63.25 के रेकॉर्ड निचले स्तर पर
शेयर बाजार धड़ाम

यह कोई हबीब तनवीर का आगरा बाजार नहीं है
न नजीर कहीं खड़ा है इस बाजार में
इस बाजार से अब तय होती है हमारी किस्मत
इस बाजार के लिए रोज बदले जाते कानून
रोज संविधान की हत्या होती
और नीतियों का निर्धारण होता यहीं से
राजनीति अराजनीति इसी गर्भनाल से जुड़ी हैं भइये
अल्पमत सरकारों के राजकाज के लिए
सर्वदलीय सहमति भी यहीं बनती भइये

समझ सको तो समझ जाओ भइया
आधी कीमत पर भी मिले शेयर
तो हरगिज न खरीदना भइया

अब तेंजड़ी सांड़ों को घात
लगाकर बैठते देखिये
मंदड़ी भालुओं का धुआंधार देखिये

सरकार के तमाम प्रयासों के वावजूद रुपए की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। रुपया लगातार गिरावट का रेकॉर्ड बनाता जा रहा है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने सबसे निचले स्तर 63.25 पर पहुंच गया। रुपए की गिरावट का असर स्टॉक मार्केट पर भी दिखा और सेंसेक्स और निफ्टी में भी भारी गिरावट का दौर जारी रहा।

रुपये के लगातार कमजोरी के नए रिकॉर्ड बनाने से कोहराम मच गया और बाजार 2 फीसदी टूटे। दिग्गजों के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की भी पिटाई हुई। निफ्टी मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप 1 फीसदी टूटे और बैंक निफ्टी करीब 4 फीसदी लुढ़का। बीएसई मिडकैप 0.96 फीसदी जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स 0.53 फीसदी की गिरावट के साथ खुले थे। दिग्गज शेयरों के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बिकवाली ज्यादा हावी रही। हालांकि आईटी, टेक्नॉलजी, फार्मा और कंज्यूमर ड्युरेबल्स शेयरों में खरीदारी देखी गई। लेकिन कैपिटल गुड्स, मेटल, बैंक, रियल्टी, पीएसयू, ऑटो, पावर और ऑयल ऐंड गैस शेयरों के पिटने से घरेलू बाजार दबाव में नजर आए।

सारे दलाल देते दस्तक
हर दरवाजे पर
हांक लगा रहे हैं
ब्ल्यू चिप ब्ल्यू चिप
बहुत सस्ते जा रहे हैं
उड़ रहे हैं रुपये भइये
पकड़ लो पकड़ लो
रातोंरात करोड़पति बन जाओ भइये

यूनिट लिंक्ड बीमा है जिनकी
उनकी समझो शामत है
आन पड़ी जरुरत भारी कोई
तो नहीं मिलेगा प्रीमियम भी

अब खूब अपनी खैर मनाइये
भविष्यनिधि और पेंशन भी
अब शेयरों में तब्दील है
और बिना इजाजत
बैंक खातों की रकम भी शेयर बनने ही वाले हैं

सांड़ों और भालुओं के आईपीएल में
हमेसा मारे जाते निवेशक
छोटे और मंझौले
जिन्हें पीटना है पैसा
वे पैसा अपना पीट लेते हैं
सरेबाजार लूटने को रह गये हम

कंपनियों की जमा पूंजी
कुछ भी नहीं है भइये
बाजार से पैसा बटोरने की खुली है छूट
हर कोई चिटफंड है
हर कोई फर्जीवाड़ा
हर कोई सूट रहा है
हम पोंजी के शिकंजे में हैं भइया

कोई नियमन है नहीं
न कोई निगरानी है
सेबी के दांत दिखाने के हैं
और रिजर्व बैंक के
कान उमेठकर
जारी होती मौद्रिक नीतियां
सबकुछ उनके हित में हैं

विदेशी पूंजी प्रवाह अबाध है
आवाजाही अबाध है
जैसे आती है
धूमधड़ाके से
जाती भी है
धूम धड़ाके से
झांसे में आ जाते हम तुम
संस्थागत विदेशी निवेशकों के
हित हैं सुरक्षित हमेशा
कोई गार बिगाड़
नहीं सकता बाल किसी का

कमजोर होना लगातार जारी है
डॉलर के मुकाबले रुपया का
रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई
सोमवार को रुपए में एक दिन में
रुपया लुढ़ककर पहुंच गया
अब तक के सबसे निचले स्तर पर
एक डॉलर के मुकाबले रुपए की
कीमत 63.13 रुपए हो गई

अर्थ जगत के जानकारों का मानना है कि रुपए की कीमत में आ रही गिरावट का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। आने वाले समय में महंगाई और बढ़ेगी।

मंहगाई बढ़ने का खेल
इतना आसान भी नहीं है
मंहगाई के पीछे के अर्थशास्त्र को
भी समझ लो भइया
समझ लो मंहगी राजनीति भी भइया
सांड़ों और भालुों की बिसात पर
पैदल मोहरे हुए हम तुम
कभी भी किसी भी चाल
पर हंसते हंसते मरने को तैयार
शह और मात में
कहीं हिस्सेदार नहीं हैं हम भइये

प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित
नहीं करते इस खुले बाजार में
लालकिले के बख्तरबंद प्राचीर से
दरअसल वे विदेशी पूंजी की
भाषा बोलते हैं
और संबोधित करते हैं
विदेशी निवेशकों को ही

सबकुछ अनियंत्रित है
विनियंत्रित तेल की तरह
विनियंत्रित ऊर्जा की तरह
नालेज इकानोमी की तरह
स्वास्थ्य से लेकर पर्यटन
और धार्मिक पर्यटन की तरह
विनियंत्रित है आयात
और निर्यात भी
जैसे विनियंत्रित है
चीनी से लेकर हवा और पानी भी

सबसे ज्यादा विनियंत्रित है
इस देस की सरकारें भइये
वे देश बेच रही हैं खुलेआम
और हम जल जंगल जमीन
आजीविका और नागरिकता से
हंसते हंसते हो रहे हैं बेदखल
किसी माथे पर को ई शिकन नहीं है
वैसे भी कार्निवाल में हर चेहरे पर
मुखौटे हैं रंग बिरंगेप
पुरखों के कटे हुए नरमुंड
की कतार में
कंडोम की तरह
इस्तेमाल हो रहे हैं हम
बाजार में दाखिला
बहुत है आसान भइया
पर हम न हुए
कोई टाटा या अंबानी
न हुए हम कोई सत्यम
झूठ पर जिनका कारोबार सारा
उस बिरादरी में हम कहां है भइया
ले देकर जो सब्सिडी मिलती थी
वित्तीय घाटा साधने के
लिए खत्म कर दी गयी एक मुश्त
आधार में सिमट गयी पहचान हमारी
आधार में कैद है जान हमारी
हर कदम पर सारे नियम
सारे कायदे कानून हमारे लिए ही भइये
उनके लिए न कोई कानून है
और न कायदे हैं भइये

पाई पाई टैक्स चुकाते हम तुम
कोई राहत नहीं कहीं भी
पाई पाई का हिसाब देते हम तुम
जहा तहां धर लिये जाते
वहीं हम तुम ही तो भइये
उनको लाखों करोड़ों की टैक्स छूट
हर साल, साल दरसाल
उन्हींके लिए विदेशी कर्जा
जिसका ब्याज चुकाते हम तुम

समझ सको तो समझो यह खेल भइया
कारपोरेट लाबिइंग है
इस दावानल के पीछे
माफिक सुधार के लिए भइया
नीति निर्धारण की पेंच है यह भइया
अर्थ व्यवस्था हमारी
जिस खेती में है, जिन कल कारखानों में हैं
उनके हत्यारे हैं ये भालू और सांड़ भइये
हमारे जो हाथ कट रहे हैं रोज
रोज जो गरदन नपती जाती हमारी
रोज जो हादसों के शिकार हैं हम भइये
उनकी सूतली उनके ही हातों में है भइये

इंतजामात हैं चाक चौबंद

डॉलर के मुकाबले में रुपए के विनिमय दर में बढ़ते अंतर से ईंधन-पेट्रोल एवं डीजल के दाम और बढ़ेंगे। परिवहन लागत बढ़ने से फल-सब्जियों के दाम और ऊपर जाएंगे।

इसके अलावा विदेश में घूमना एवं पढ़ना और महंगा हो जाएगा।

रुपए की कमजोरी का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। इससे आयात महंगा और निर्यात सस्ता हो जाएगा जिसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। कंपनियों के लिए विदेशी कर्ज जुटाना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही छोटी अवधि का कर्ज भी महंगा होगा।

2

आत्महत्या के तरीके बहुत हैं भइये
वैसे भी तो मारे जाने के लिए
हम तुम चुन लिये गये हैं भइये
जब चाहे तब उठाते वे बाजार
जब चाहे तब वे गिराते बाजार
यही है उनके अरबों का कारोबार
यी है उनका उपक्रम
माटी के पुतले
और मामूली पत्थर को इसतरह
देव देवी बनाते हम
और समर्पित कर देते
उन श्री चरणों में
अपना ही नहीं पीढ़ियों का
भूत भविष्य और वर्तमान

इस बाजार में हम सिर्फ शिकार हैं
कांटे निगलने के लिए आतुर
छोटी मछलियां हैं हम
बड़ी मछलियां हर कहीं है तैनात
अब निगले कि तब निगले
दो चार पैसे बन भी गये तो क्या
सब हारकर आयओगे इस जुआघर में भइये

तकनीक देखिये
और विश्लेषण भी
डॉलर के मुकाबले रुपये के नये निम्न स्तर तक पहुंचने का असर आज फिर शेयर बाजार पर दिखा और बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 291 अंक लुढ़ककर चार महीने के निम्न स्तर 18,307.52 अंक पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बैंक, वाहन, औषधि तथा एफएमसीजी कंपनियों के शेयरों की बिकवाली से निवेशकों की शेयर परिसंपत्ति में करीब एक लाख करोड़ रुपये की कमी आ गई।

शुक्रवार को 769 अंक की गिरावट के बाद 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 18,587.38 अंक पर खुला। बिकवाली दबाव बढ़ने से कारोबार के दौरान सेंसेक्स 18139.15 तक चला गया था। लेकिन बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ। फिर भी यह 290.66 अंक या 1.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,307.52 अंक पर बंद हुआ। अप्रैल 2012 के बाद यह सबसे निम्न स्तर है। उस समय सेंसेक्स 18,242.56 अंक पर बंद हुआ था।

इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 93.10 अंक या 1.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,414.75 अंक पर बंद हुआ। एमसीएक्स-एसएक्स का एसएक्स 40 सूचकांक 201.76 अंक या 1.82 प्रतिशत की गिरावट के साथ 10,881.76 अंक पर बंद हुआ।

3
पहले गांधी टोपी में बैठती थी बिल्लियां
घात लगाकर करतीथीं शिकार
अब लुंगी नाच है सर्वत्र
लुंगी सार्वजनीन परिधान है
पर उतर गयी लुंगी तो
आदमजाद नंगे हो जाओगे भइये
चेन्नई एक्सप्रेस अब कोई फिल्म नहीं है भइये
राष्ट्रीय भवितव्य है भइये
शाहरुख और दीपिका की लुंगी को देखते रहिये
चिदंबरम की लुंगीनाच
को नजरअंदाज करते जाइये

विशेषज्ञों का पढ़ोगे तो
माथा हो जायेगा खराब
राजनेता तो फिर भी बेहतर थे
बुरबक बनाते थे
खूब समझ लेते थे
हम तुम भइये
चूंती अर्थव्यवस्था के अवतार को
हमने जबसे बना दिया
जनगणमन अधिनायक
अर्थसास्त्री चला रहे हैं देश
शेयर बाजार के दलाल तमाम
अब चला रहे हैं देश
उनके कहे का मतलब कौन बूझे भइये
कृषि संकट कोई संकट है नहीं उनके लिए
वे हरित क्रांति दूसरी हरित क्रांति के सौदागर
और खेत हमारे हो गये श्मशान
वे सेवाओं के पैरोकार
कलकारखाने हो गये श्मशान
उनकी लीला ईश्वर की लीला है
उनके भाषण प्रवचन हैं
उनके ग्रंथ धर्मग्रंथ हैं
हमारे वध का हर आयोजन
अब कर्म कांड है
समारोह है
उत्सव है भइये

स्वतंत्रता बाद देश की विशाल आबादी को भोजन मुहैया कराने की चुनौतियों के बीच पिछले तीन दशकों में कृषि योग्य भूमि का रकबा 54 लाख हेक्टेयर कम हुआ है। कृषि मंत्रालय की 2011-12 की रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्रता से पहले के समय में अनाज की कमी के अनुभव के कारण खाद्यान्न में स्वाबलंबन पिछले 60 वर्षों में हमारी नीतियों का केंद्र बिन्दु रहा है और खाद्यान्न उत्पादन का इस संबंध में अहम स्थान रहा है। हालांकि कुल अनाज उत्पादन में खाद्यान्न का हिस्सा 1990-91 में 42 प्रतिशत से घटकर 2009-10 में 34 प्रतिशत रह गया है। जाने माने कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन ने कहा कि अगर ...


क्या मजा है देखो भइये
हमारे प्रधानमंत्री जो कहते हैं
हूबहू वही कह रहा है विश्वबैंक

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री एवं वित्त मंत्रालय के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने सोमवार को इन आशंकाओं को पूरी तरह खारिज किया कि देश 1991 जैसी वित्तीय संकट की स्थिति में फंस गया है। उनकी राय में मौजूदा हालात की तुलना उस दौर से नहीं की जा सकती है।

कौशिक बसु ने सोमवार को उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा 16वें जेआरडी टाटा स्मारक व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर कहा ऐसे सवाल उठाये जा रहे हैं कि क्या हम 1991 की स्थिति में पहुंच गये हैं। इस मामले में मेरा जवाब है कि ऐसे सावालों का कोई तुक नहीं है। यदि आप एक दो आंकड़ों पर ही गौर करें तो आप कहेंगे कि दोनों स्थितियों के बीच कोई तुलना है ही नहीं।

बसु ने कहा कि 1991 के भुगतान संकट के समय देश में मात्र 3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था जबकि आज देश में 280 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। जहां तक आर्थिक वृद्धि की बात है, 1991 में आर्थिक वृद्धि की दर एक प्रतिशत पर थी जबकि इस समय यह 5 से 6 प्रतिशत के दायरे में है।

थोक मुद्रास्फीति 5.8 प्रतिशत पर है जबकि इससे पहले देश 1972 में 30 प्रतिशत तक की मुद्रास्फीति देख चुका है। बसु ने कहा स्थिति ठीक नहीं है यह लेकिन यह उस संकट के आसपास नहीं है जिसे हम पहले देख चुके हैं। बसु ने कहा यह सही है कि हम कठिन दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन इस परेशानियों को कुछ ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।

हाल के दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से गिरा है। यह 62 रुपये प्रति डॉलर से भी नीचे गिर चुका है। लगातार चार महीने गिरने के बाद जुलाई में थोक मुद्रास्फीति करीब एक प्रतिशत अंक बढ़कर 5.79 प्रतिशत हो गई।

कई दिनों पहले डिटो बोले मनमोहन
इस पर चिदंबरम की हुई उदात्त घोषणा
सुदार होंगे और तेज
हमारी थाली में अमीरी परोस दी है
मोंटेक बाबू ने पहले ही
सारे रंग सियारों का हल्ला है खूब
बहुत शोर है इस देश में इन दिनो
और उससे ज्यादा है नपुंसक सन्नाटा, भइये।

अब समझो कौन कहां से
सरकार चला रहा है भइये
खंडित जनादेश के अल्पमत
असंवैधानिक सरकारो का क्या कमाल कहिये
कि 1991 से नीतियों की निरंतरता है
और नरसंहार की छूट ही अब संवैधानिक
संविधान दरअसल लागू ही नहीं हुआ है अबतक
न संवैधानिक प्रावधानों के कोई मतलब है
इस लोक गणराज्य में
लोकतंत्र नहीं अब लूटतंत्र है भइये
हम तुम हंसते हंसते लुट रहे हैं भइये
वे आंकड़े गढ़ते
विकास दर रचते
वित्तीय खतरे और
भुगतान संतुलन का हव्वा बनाते
राष्ट्र को खतरे में डालते जब तब
जनता को देस के हर कोने में
योजनाबद्ध गृहयुद्ध में झोंक देते
अपनी ही जनता के खिलाफ कर देते युद्धघोषणा
और सलवा जुड़ुम के खेल में
शामिल हो जाते हम तुम भइये
वे घोटाले करते रहते
हम सुर्खियों में निपट जाते
राष्ट्र का सैन्यीकरण होता जमीन से
आसमान तलक
और वे राष्ट्रीय सुरक्षा का सौदा करते
देश की एकता और अखंडता से खेलते रहते भइये
हम मूक और वधिर
हम अस्पृश्य और बहिस्कृत
मगर अभिजनों में शामिल होने को
बेताब हैं हम भइये
उनके जाल में फंसने को
उनका ही फेंका दाना हम चुगते रहते भइये
वे 1991 की रट लगा रहे हैं बार बार
वे 1991 का माहौल बना रहे हैं बार बार
ग्लोबल हुई अर्थव्यवस्था 1919 में
खुला बाजार बना भारत 1991
हनमारी संप्रभुता की नीलामी की शुरुआत 1991 में
इस देश के चप्पे में कारपोरेट राज का युगारंभ 1991 में
यह देश बना अनंत वधस्थल 1991 में
वे लोग जो थे सुधारों के ईश्वर 1991 में
वे ही 1991 का माहौल रच रहे हैं ,भइये
जाहिर सी बात है कि
सुधारों का दूसरा चरण होगा
पहले से भी भयंकर भइये
सारे कानून बदल डाले
अब आगे कत्लेाम है भइये
बायोमेट्रिक डिजिटल देशमें अब
संचार क्रांति है
भोजन हो या नहीं
सर पर छत हो या नहीं
रोजगार हो या नहीं
नागरिकता हो या नहीं
हम बायोमेट्रिक हैं
और डिजिटल है यह देश भइये
हर घर में टीवी है
हर हाथ में मोबाइल है
है थ्री जी फोर जी स्पेक्ट्रम
और है हमारे विचारों की निगरानी ,भइये
हमारे ख्वाबों पर है पहरा इन दिनो भइये

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के सोमवार को 62 के स्तर तक गिरने के बाद वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने अपने मंत्रालय के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर मौजूदा आर्थिक स्थिति और आगे उठाये जाने वाले कदमों पर विचार-विमर्श किया।

वित्त मंत्रालय में करीब तीन घंटे चली इस बैठक में राजस्व, व्यय, वित्तीय क्षेत्र और विनिवेश विभाग के सचिव उपस्थित थे। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री ने आर्थिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी ली और विभिन्न विभागों से इसमें सुधार लाने के लिये सुझाव मांगे।

एक अन्य सूत्र ने बताया कि बैठक में अगले तीन महीनों के एजेंडे पर बातचीत हुई। वित्त मंत्री की मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब सोमवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 63 से भी नीचे चली गयी थी जो इसकी अब तक की निम्नतम दर है। एक सूत्र ने कहा कि यह कामकाज की समीक्षा और आगे के कदमों पर विचार के लिए आयाजित बैठक थी।
इस साल अब तक रुपए में 10.8 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी जोकि इस दौरान एशिया में किसी भी करंसी का सबसे खराब प्रदर्शन है। अब कई डीलर उम्मीद आरबीआई से और भी कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले हफ्ते सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 3.7 प्रतिशत करने के लिए घोषित कदम भी ट्रेडर्स का भरोसा वापस नहीं ला पाए। पिछले साल राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत रहा था।

पलाश विश्वास SOURCE
__________________



Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed.
dipu is offline   Reply With Quote