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Originally Posted by Sikandar
सागर जी
एक बेहतरीन सूत्र के लिए आपको दिली मुबारकबाद
आपने बचपन के दिन याद दिला दिए
आपकी इस कोसिस को मेरा सलाम
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बच्पन की यादे भुलाये नही भूलती सिकन्दर भाई
वो दिन भी क्या दिन होते थे वो दिन भी क्या दिन होते थे अपनी ही मस्ती में रहते थे ना कोई चिंता होती थी ना ही कोई जिमेदारी होती थी !
कोई लोटा दे मेरे बीते हुए दिन