Re: मुहावरों की कहानी
बार बार सुना झूठ सच लगता है
एक भोलाराम नाम का व्यक्ति होता है। वह शहर से बकरी खरीद कर लाता है। रास्ते में उसे तीन ठग मिलते हैं। ठगों का दिल बकरी पर आ जाता है तथा वे आपस में सलाह करते हैं कि किसी न किसी तरह भोलू से बकरी हथिया ली जाये। तीनों ठग अलग-अलग हो जाते हैं।
तयशुदा योजना के तहत पहला ठग जाकर भोला राम को पूछता है, ''क्यों भाई, ये क्या ले जा रहे हो?"
''दिखाई नहीं देता? बकरी है।" भोले ने उत्तर दिया,
''बकरी कहां है, ये तो कुत्ता है।"
भोला उस ठग से बहस करने लगा, ''कुत्ता नहीं भई यह बकरी है, बकरी।"
''नहीं कुत्ता है।"
''नहीं बकरी है।"
''कुत्ता।"
''बकरी।"
ठग भोला राम से काफी देर बहस करने के बाद चला जाता है। वह थोड़ा आगे जाता है तो उसे दूसरा ठग मिलता है, ''भोला राम कहां से आ रहे हो?"
''शहर गया था, बकरी खरीदने।"
''तथा ले आये कुत्ता?" ठग ने ठहाका लगाया।
भोला राम ने बकरी की ओर देखकर जबाव दिया, ''कुत्ता नहीं, यह बकरी है।"
''बकरी क्या ऐसी होती है, यह तो कुत्ता है।"
भोला राम की उस ठग के साथ भी काफी बहस होती है। थोड़ा आगे जाने पर भोलाराम को तीसरा ठग मिलता है, ''और सुनाओ मित्र, कुत्ते को कहां ले जा रहे हो?"
कुत्ता कह रहे हैं तो जरूर ही यह कुत्ता होगा, बकरी नहीं। गांव में जाने पर लोग मजाक न करें, इसलिये वह बकरी का रस्सा वहीं छोड़कर चला जाता है तथा ठग बकरी को संभाल लेते हैं।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|