24-10-2013, 09:47 PM
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#15
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Re: अमृत वचन......................
आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति................
एक बार जरुर पढ़े..
हाथ मैं झोला लटकाए एक बुजुर्ग महिला बस मैं चढ़ी,
सीट खाली नही देख एकदम से वह निराश हो गयी,
फिर भी जैसा कि बस मैं चढ़ने वाला हर यात्री सोचता है कि शायद किसी सीट पर अटकने की जगह मिल जाए, वह भी पीछे की औरचली,
तभी उसकी नजर एक सीट पर पड़ी, उस पर बस एक ही युवक बैठा था, आंखों मैं संतोष की चमक आ गयी, पास जाने पर जब उस पर कोईकपडा या कुछ सामान नही दिखायी दिया, तो उसने धम्म सेशरीर को छोड़ दिया सीट पर, तभी युवक बोलता हैं अरे रे कहाँ बेठ रही हो, यहाँ सवारी आएगी|
बूढी आंखों मैं उभरी चमक घुप्प से गायब हो गयी ,
आगे और सीट देखने की हिम्मत उसमें नही रही और वह वहीं सीटों के बीच फर्श पर ही बैठ गयी, इसके बाद उस खाली सीट को देख कर कईं बार आंखों मैं चमकआती रही और बुझती रही,
तभी कॉलेज में पढने वाली सुन्दर सी दिखने वाली लड़की बस पर चढ़ी,
अन्य लोगों को खड़ा देख उसने समझ लिया कि वह सीट खाली नही है, कोई आएगा, नीचे गया होगा, और वह भी खड़ी हो गयी महिला के पास,
तभी आवाज आई बैठ जाइये ना, यहाँ कोई नही आएगा|
इस आवाज पर लड़की ने मुड़कर देखा तो युवक उससे ही मुखातिब था, उसने आश्चर्य से पूछा “कोई नही आएगा”,
युवक उसी मुस्कान के साथ बोला- जी नही, इस पर
लड़की मुडी और नीचे बैठी उस बुजर्ग महिला को बोली माँ जी आप ऊपर बैठ जाइये और उसने इतना कह कर बुजर्ग महिला को सीट में बैठा दिया|
अब युवक का चेहरा देखने लायक था,
वह लड़की को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था|
“दोस्तों याद रखे मानव कहलाना ही काफी नहीं है
आप के अन्दर मानवता का गुण होना भी जरुरी हैं|”....................
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