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:
प्रेम, प्रणय और धोखा
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28-11-2010, 11:40 PM
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17
jai_bhardwaj
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
जीवन समारोह सा लगता, साथ अगर तुम मेरे होते !
चाँद में अपनी बस्ती होती , गलियारे में तारे होते !!
फूलों का अपना रथ होता, जिसे स्वयं ही पवन घुमाता
किन्तु स्वप्न तो स्वप्न रह गए, स्वप्न कहाँ पूरे होते !!
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।
कभी कभी -->
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