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Originally Posted by dr.shree vijay
में स्वयंम भी पढ़ने के बाद यही लिखने वाला था,पर मेरे विद्वान मित्रों ने यही उदगार पेश किये मेरे लिए तो कोई शब्द ही नही छोड़ा, अब में क्या टिप्पणी करू ?
हा मुझे इसमें जासूसी नोवल जरूर लगा..........................
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डॉ. श्री विजय जी, आपने सम्पूर्ण आलेख को पढ़ कर जो कुछ भी और जितना भी उसके विषय में लिखा है, वह हमारे सर आँखों पर. मुझे यह पढ़ कर संतोष मिला कि इस आलेख या कहानी में आपको रहस्य-रोमांच नज़र आया जो इसे एक जासूसी नॉवेल के समकक्ष ले आता है. आपकी टिप्पणी के लिए पुनः बहुत बहुत धन्यवाद.