21-09-2014, 02:18 PM
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#13
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Diligent Member
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Re: प्रेम.. और... त्याग...
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Originally Posted by Lavanya
रजत जी आपके इस मत से मैं सहमत नहीं हूँ कि प्रेमी युगल के मध्य प्रेम की भावना श्रेष्ठतम है। आप भूल रहे हैं कि इस दुनिया में एक माँ का प्रेम अपने बच्चे के लिए श्रेष्ठतम होता है। क्यूंकि उसमें स्वार्थ नहीं होता , त्याग होता है। मुझे नहीं लगता कि एक माँ के प्रेम की तुलना किसी भी व्यक्ति द्वारा किये गए प्रेम से की जा सकती है।
अपने Titanic मूवी के जिस दृश्य का ज़िक्र किया वो वास्तव में बहुत ही भावुक दृश्य था। जिसे देखने के बाद शायद सभी वैसा ही प्रेम पाने की अभिलाषा करने लगे। पर क्या आपको नहीं लगता कि अगर वैसा ही दृश्य एक माँ और पुत्र के बीच में हो तो नज़ारा यही होगा ? अगर कभी किसी की माँ ऐसी स्थिति में हो तो क्या एक पुत्र अपनी माँ को नहीं बचाएगा ? हो सकता है दृश्य में थोड़ा परिवर्तन हो जाये , लकड़ी के तख्ते पर पुत्र हो और माँ अपने बच्चे को बचाने के लिए पानी में खड़ी हो।
तो ये कहना उचित नहीं है कि कौन सा प्रेम श्रेष्ठतम है , प्रेम की तुलना करना सही नहीं है। सभी रिश्ते अपनी जगह होते हैं। और सभी रिश्तों में मौजूद प्रेम श्रेष्ठतम होता है।
आपके एक कथन को समझने में मुझे थोड़ी दिक्कत महसूस हो रही है , तो इसे थोड़ा स्पष्ट करने का प्रयास कीजियेगा - प्रायः लोगों की आदत होती है- अपने बारे में अपने दोस्तों को ‘ए टू जेड’ बिना रुके बताने की. अपनी इस प्रवृत्ति को बदलिए. यह प्रवृत्ति आपके लिए कभी भी घातक सिद्ध हो सकती है.
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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, लावण्या जी. आपने चर्चा में भाग लिया और अपने संदेह को दर्ज कराया. तो हम यहाँ पर आपको यह बता दें कि अभी तक आपने हमारी ‘निःशुल्क सेवा’ पढ़ने का आनन्द लिया. अब आपको अपने विशेष प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए हमारी ‘प्रीमियम सेवा’ लेनी होगी. मात्र 1000 पॉइंट के शुल्क पर आपकी शंका का समाधान कर दिया जायेगा. टिप्पणी- हमारे देश की ‘मोलभाव संस्कृति’ को बचाने के लिए यहाँ पर मोलभाव करने की पूरी छूट है. जितने पॉइंट पर सौदा तय हो जाये.
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