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Old 21-09-2014, 02:43 PM   #14
Rajat Vynar
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Talking Re: प्रेम.. और... त्याग...

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Originally Posted by rajnish manga View Post
मित्रो, मैं सोचता हूँ कि चर्चा का विषय 'प्रेम और त्याग' को जान-बूझ कर शब्द जाल में फंसा कर हमारे अवस्तरीय टीवी सीरियलों की तरह लम्बा खींचा जा रहा है. ऐसी चर्चा का कोई उद्देश्य नहीं जिसे आप सीधे सरल तरीके से किसी निष्कर्ष पर न पहुंचा सकें. यह जरूरी नहीं कि जहां-तहां (किताबों, फिल्मों आदि) से अनावश्यक उद्धरण दे कर चर्चा को बोझिल बना दिया जाये. कई स्थानों हमने यह देखा है कि गंभीर विमर्श के चलते उसको हंसी-मज़ाक का मंच बनाने और चर्चाको हाईजैक करने तथा उसे किसी ओर दिशा में ले जाने की कोशिश भी की गयी. वर्तमान चर्चा में प्रेम को स्त्री-पुरुष के प्रेम पर ही फोकस करने और प्रेम में ‘अति’ का औचित्य कहाँ से आ गया? इस प्रकार के दिशाहीन-विचार विमर्श से आप क्या सिद्ध करना चाहते हैं? और इससे क्या हासिल होगा?
पकी बात से मैं पूर्णरूपेण सहमत हूँ, रजनीश जी किन्तु जब प्रेम की बात आती है तो इस बात का जानना आवश्यक हो जाता है कि किस प्रकार के प्रेम को वरीयता दी जाती है, क्योंकि बहुधा सभी लोग यही समझते हैं कि सभी प्रकार के संबंधों में एक समान प्रेम की भावना निहित होती है. अतः इस विषय पर विस्तार से चर्चा करना आवश्यक है. कृपया अनुमति प्रदान करें.
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