Re: इधर-उधर से
हिंदी साहित्य की लोकप्रिय पुस्तकें
अभी पिछले दिनों एक दिलचस्प विवरण पढ़ने को मिला. इस विवरण में हिंदी की उन पुस्तकों के बारे बताया गया था जो लोकप्रियता के मामले में अन्य पुस्तकों से बढ़ चढ़ कर हैं. यहाँ पर लोकप्रियता का आधार उन पुस्तकों के अब तक छप चुके संस्करणों की संख्या को बनाया गया है. आइये पुस्तकों की लोकप्रियता के हिसाब से हिंदी की कुछ पुस्तकों की लिस्ट पर नज़र डालते हैं यद्यपि संस्करणों की संख्या का कोई पुख्ता आधार नहीं बताया गया. लिस्ट इस प्रकार है:-
1. मधुशाला ---- हरिवंशराय बच्चन- 61 संस्करण
1. गुनाहों का देवता- धर्मवीर भारती- 61 संस्करण
2. सूरज का सातवाँ घोड़ा.. वही ......60 संस्करण
3. भारत-भारती –मैथिली शरण गुप्त 47 संस्करण
4. साकेत ------- मैथिली शरण गुप्त-41 संस्करण
4. त्यागपत्र ---- जैनेन्द्र कुमार ------41 संस्करण
4. सारा आकाश- राजेन्द्र यादव ------41 संस्करण
5. नदी के द्वीप – अज्ञेय ------------35 संस्करण
5. कलम का सिपाही --- अमृतराय ..35 संस्करण
6. शेखर एक जीवनी ..... अज्ञेय .....33 संस्करण
7. मैला आँचल ....फनीश्वरनाथ रेणु .25 संस्करण
7. चित्रलेखा ......भगवती चरण वर्मा 25 संस्करण
7. आवारा मसीहा ... विष्णु प्रभाकर .25 संस्करण
8. तमस ............. भीष्म साहनी ...24 संस्करण
8. उर्वशी .......रामधारी सिंह दिनकर 23 संस्करण
9. आपका बंटी ... मन्नू भंडारी .......22 संस्करण
10. राग दरबारी .. श्रीलाल शुक्ल ...18 संस्करण
10. भूले बिसरे चित्र भगवती चरण वर्मा ..18 संस्करण
10. बाणभट्ट की आत्मकथा हजारी प्रसाद द्विवेदी 18 संस्करण
उपरोक्त के अलावा भी कुछ और पुस्तकों को भी लोकप्रियता क्रम में जगह दी गयी है जैसे:- साए में धूप (दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें), आधा गाँव (राही मासूम रज़ा का उपन्यास), अँधा युग (धर्मवीर भारती का काव्य-नाटक), आषाढ़ का एक दिन (मोहन राकेश का नाटक), मुझे चाँद चाहिये (सुरेन्द्र वर्मा का उपन्यास), ग़ालिब छुटी शराब (रवींद्र कालिया), बूंद और समुद्र एवम् अमृत और विष (दोनों उपन्यासों के रचयिता अमृत लाल नागर) आदि पुस्तकें और प्रेमचंद का विशाल साहित्य जिसे कई कई प्रकाशकों ने कई कई बार छापा है.
हर व्यक्ति का अपना अपना आकलन हो सकता है. अतः यह विश्लेषण भी विवादों से मुक्त नहीं होगा. इसका एक कारण तो यह है कि किताब पहली बार कब छपी थी, इस पर भी उसके संस्करण या आवृत्ति का फ़रक पड़ना स्वाभाविक होता है. यहाँ यह बात भी ध्यान में रखी जानी चाहिये कि जो पुस्तकें छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं, उनकी आवृत्ति या संस्करण अन्य पुस्तकों की अपेक्षा अधिक निकलते हैं. इस प्रकार हम यह मान कर चल सकते हैं कि लोकप्रियता का यह कोई अंतिम आधार नहीं है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 10-01-2014 at 01:30 PM.
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