25-01-2015, 07:53 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
नींद में चलने वाले
जिस स्थान पर मैं पैदा हुआ था, वहां एक स्त्री और उसकी पुत्री रहते थे. दोनों को ही नींद में चलने की आदत या बिमारी थी. एक बार रात के समय चारों ओर निस्तब्धता का आलम था. वे दोनों घूमती घूमती कोहरे में लिपटी हुई एक वाटिका में जा पहुंची और नींद की अवस्था में बातचीत करने लगीं.
माँ ने बेटी से कहा, “हाँ...हाँ...अब मुझे पता चल गया है कि मेरी शत्रु तू ही है, जिसमे मेरी जवानी को नष्ट कर दिया. तू ही है जिसने अपनी जवानी का महल मेरे जीवन की जीर्ण इमारत पर खड़ा किया है. अच्छा होता कि मैं तेरा गला दबा देती.”
बेटी भी यह बात सुन कर भड़क गई. उसने कहा, “ओ स्वार्थी बुढ़िया, तू मेरे और मेरी आज़ादी के बीच एक रोड़ा बनी हुई है. कौन मुझे तेरी प्रतिच्छाया कह सकता है. काश ! ईश्वर तुझे उठा ले.”
इसी समय वहां मुर्गे ने बांग दी जिसे सुनते ही दोनों माँ-बेटी अपनी नींद से जाग गयीं. उन्हें नींद में की गई बातें याद नहीं थीं.
बुढ़िया ने अपनी बेटी को बड़े प्यार से निहारते हुए कहा, “यह तुम हो मेरी प्यारी बेटी?”
बेटी ने बड़े प्यार से उत्तर दिया, “हाँ, मेरी अच्छी अम्मा!!”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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