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rajnish manga
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Default Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें

खलील जिब्रान


तीन उपहार

किसी समय बुखारा नगर में एक अत्यंत उदार राजकुमार था. उसकी प्रजा उसे जी जान से चाहती थी और बहुत आदर करती थी.

उन्हीं दिनों उस राज्य में एक और व्यक्ति रहता था जो अत्यंत दरिद्र था, वह हर समय राजकुमार की निंदा करता और जिव्हा से ज़हर उगलता रहता था. राजकुमार को उस व्यक्ति के बारे में मालूम हुआ, फिर भी वह शांत रहा. लेकिन एक दिन वह इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार करने लगा.

इसके कुछ दिन बाद एक शाम को उस दरिद्र व्यक्ति के द्वार पर राजकुमार का एक कारिन्दा उपस्थित हुआ. वह अपने साथ एक आटे की बोरी, एक साबुन की थैली और एक शक्कर की थैली लाया था जिसे उसने उस दरिद्र को दे दिया.

राजकुमार का कारिन्दा उससे कहने लगा, “राजकुमार ने ये वस्तुएं आपके लिए उपहार स्वरुप भेजी हैं क्योंकि आप उन्हें बहुत याद करते हैं.”

वह व्यक्ति गर्व से फूल गया. उसने सोचा की हो ना हो राजकुमार ने यह वस्तुएं उसे आदर स्वरुप भेजी हैं.

उसी अभिमान में वह पादरी के पास गया और राजकुमार के इस कार्य की चर्चा करते हुए कहने लगा, “देखा आपने ! राजकुमार भी मेरी सद्भावना लेना चाहते हैं.”

इस पर पादरी ने उत्तर दिया, “देखो, तुम्हें पता नहीं है, राजकुमार कितना चतुर है और तुम कितने नासमझ. वह तुम्हें इशारे से समझाना चाहता है. थोड़ी समझ से काम लो. आटा तुम्हारा खाली पेट भरने के लिए है. साबुन तुम्हारे दुर्गन्ध युक्त शरीर को साफ़ करने के लिए और शक्कर तुम्हारी कड़वी ज़बान को मधुर करने के लिए भेजी गयी है.”

उस दिन के बाद उसे राजकुमार से और अधिक घृणा हो गयी. साथ ही पादरी द्वारा ऐसा विश्लेषण करने के कारण वह पादरी से भी जल-भुन गया.

लेकिन इस प्रसंग के उपरान्त उसकी जिव्हा शांत हो गयी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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