Re: साक्षात्कार
हम भारतीय अपनी महान परम्पराओं का उदाहरण देते नहीं थकते, लेकिन मैं पाता हूं कि दोगलापन हमारा राष्ट्रीय चरित्र बन गया है। कुछ दिन पूर्व मैंने एक समाचार पढ़ा था कि ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति मोंसेफ मारजोकी ने एक महिला से इसलिए राष्ट्र की ओर से सार्वजनिक क्षमायाचना की कि वहां के दो पुलिसकर्मियों ने उसका बलात्कार किया था। दूसरी तरफ 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता' कहने वाले इस देश में पुलिसवाले ही नहीं, नेता और अब तो पत्रकार तक इस काम में बेशर्मी से लिप्त पाए जा रहे हैं और कोई उफ़ तक नहीं करता। किसी की सीडी ज़ारी होती है, वह कुछ दिन टीवी से लुप्त रहता है और जब उसे लगता है कि अब तक जनता की स्मृति कुछ धुंधला गई होगी, वह उसी बेशर्मी से फिर गाल बजाता नज़र आने लगता है। अमेरिका को लें, जहां सेक्स भारत की तरह वर्ज्य नहीं हैं बिल क्लिंटन को इसलिए शर्मसार और लानत-मलामत का शिकार होना पड़ा कि उन्होँने मामले में राष्ट्र के सामने झूठ बोला। और 'झूठ बोलना पाप है' के देश में नेता रोज होंठों से झूठ का गुबार निकाल कर भी शर्मिन्दा नहीं होते। ऐसे अनेकानेक उदाहरण संसार के हर हिस्से में भरे पड़े हैं। क्या वाकई हमारी परम्परा महान है अथवा हम उसका सिर्फ ढिंढोरा पीटते हैं? आपका क्या ख़याल है इस विषय में?
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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