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चमत्कारिक रूप से सुरक्षित बच निकला संजीव
जालंधर। रोजी रोटी की तलाश में बिहार से जालंधर आए संजीव को लगभग पचास घंटे के बाद दो शवों के बीच में से निकाला गया। वह कारखाने की इमारत के मलबे में दबा हुआ था और राहत तथा बचावकर्मियों ने उसे देर रात लगभग डेढ़ बजे बाहर निकाला। बिहार के गोपालगंज जिले के सिधवलिया गांव का रहने वाला संजीव कुमार इसी साल दस जनवरी को इस कारखाने में काम करने आया था। हादसे के वक्त वह मशीन पर काम कर रहा था। उसके साथ दो और लोग थे। संजीव को राहत और बचाव कार्य में लगे एनडीआरएफ की टीम के सदस्यों ने मलबे में सुरंग का निर्माण कर बाहर निकाला। चिकित्सकों के अनुसार वह आईसीयू में है लेकिन उसे कोई गंभीर चोट नहीं आई है। बतौर संजीव वह पिछले 50 घंटे से अधिक समय से दो शवों के बीच पड़ा था। जालंधर के सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भर्ती संजीव ने का कि हम तीन लोग उस मशीन के पास काम कर रहे थे। इमारत गिरने के बाद मैं मशीन के नीचे आ गया। इससे मेरी जान बच गई। मेरे दोनों तरफ दो और लोग थे जिनमें से एक की मौत हो चुकी थी। मलबे के भीतर ही मैंने उसे आवाज लगाई लेकिन वह नहीं बोला। संजीव ने कहा कि मुझे लगा कि मैं बच नहीं पाऊंगा। मैने आवाज लगाना शुरू कर दिया। हालांकि, कोई हमारी सुधि लेने वाला नहीं था। अचानक बोतल के ढक्कन के बराबर एक छेद दिखा। मैने आवाज लगाई। लोगों ने मेरी आवाज सुनी । मुझे भूख और प्यास दोनों लगी थी। उसने बताया कि बाद में राहत और बचावकर्मियों ने उसे पानी और बिस्कुट भेजा। उसने बिस्कुट खा तो लिया लेकिन पानी नहीं पी सका और बेहोश हो गया । जब होश आया तो खुद को बाहर निकला पाया। सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर के प्रभारी तथा वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारी डा. एम बी बाली ने बताया कि संजीव को ऊपर से कोई गंभीर चोट नहीं आई है। उसे आईसीयू में रखा गया है। उसके सिर पर चोट लगी है। जांघ तथा पीठ की मांसपेशियों में भी चोट आई है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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