02-06-2016, 08:23 AM
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Re: दो वर्ष... माय हिंदी फोरम पर
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Originally Posted by devraj80
मैं तो आ गया पुष्पा जी और रजनीश जी ...
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नमस्कार, आपसे मिल कर आज बहुत अच्छा लग रहा है, देवराज जी. परिस्थितियों के वशीभूत हो कर कई बार हम चाह कर भी अपनी पसंद की जगह पर विचरण नहीं कर पाते अथवा अपने पुराने मित्रों से भी नहीं मिल पाते. यह जीवन का क्रम है. लेकिन मन में ध्यान तो रहता ही है. यह भावना हम सब के लिये बहुत मायना रखती है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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