Re: कथा-लघुकथा
वृध्धाश्रम में गाडी रुकी। उसमें से एक धनवान सा दिखनेवाला व्यक्ति उतरा। वहां उसने ईधर-उधर नज़र दौडाई। उसकी मां वही बागीचे मैं बेठी थी। वह व्यक्ति वहां जा कर उसके पैर छुता है।
"कैसी हो मां? आज तेरा जन्मदिवस है ना? क्या चाहिए तुझे?"
मां झीलमील करती आंखे और बिना दांत वाली मुस्कान देती बोली..."तुम्हारी खुशी बेटा!"
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