25-07-2014, 10:21 PM
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#23
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Re: भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव :.........
शेरे हिदुस्तान श्री चंद्रशेखर आजाद......
एक आदिवासी ग्राम भावरा के अधनंगे आदिवासी बालक मिलकर दीपावली की खुशियां मना रहे थे। किसी बालक के पास फुलझड़ियां थीं, किसी के पास पटाखे थे और किसी के पास मेहताब की माचिस। बालक चंद्रशेखर के पास इनमें से कुछ भी नहीं था। वह खड़ा–खड़ा अपने साथियों को खुशियां मनाते हुए देख रहा था। जिस बालक के पास मेहताब की माचिस थी, वह उसमें से एक तीली निकालता और उसके छोर को पकड़कर डरते–डरते उसे माचिस से रगड़ता और जब रंगीन रौशनी निकलती तो डरकर उस तीली को जमीन पर फेंक देता था।
बालक चंद्रशेखर से यह देखा नहीं गया, वह बोला - "तुम डर के मारे एक तीली जलाकर भी अपने हाथ में पकड़े नहीं रह सकते। मैं सारी तीलियां एक साथ जलाकर उन्हें हाथ में पकड़े रह सकता हूं।"
जिस बालक के पास मेहताब की माचिस थी, उसने वह चंद्रशेखर के हाथ में दे दी और कहा -
"जो कुछ भी कहा है, वह करके दिखाओ तब जानूं" :.........
दैनिक भास्कर के सौजन्य से :.........
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