हास्य प्रेम पत्र
पनवाड़ी पति का प्रेम पत्र
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हमरी पियारी राम दुलारी,
सदा मुस्कियात रहो,
जब से तुम रिसियाय के अपने मंगरू भईया के इहाँ गयी हो, तब से हमरी जिंदगी है, अइसी हो गयी है, जइसे बिना सुपारी का पान| सच कहत है राम दुलारी, तुमरे लाल-लाल होठन की मुस्कान देखे बिना हमार मन सुरती खाने को भी नहीं करत है|
कसम कलकता पान की, तुमरे संग हमार मन अइसे घुल मिल गया है, जइसे चुन्ना कथे के साथ मिल जाता है, हम मानत है की हम तुमको सनीमा देखाने नाहीं लई गए, पर हम का करे, दिन भर पान की दुकान पर बइठ के चुन्ना लगाए-लगाए के हमरी मती भी सुन्न हो गयी है| अब हम तुमसे हाथ-गोड जोड़ के चिरुरी करत है की तुम गुस्सा पीक दो औउर फौउरन लोउट आओ| नही तो हम तुमरी याद में मघई पान की तरह घुलते-घुलते खत्म हुई जायेंगे| अरे तुम तो हमरे लिए केसर, इलाइची से भी जादा खुशबूदार और गुलकंद से भी जादा मीठी हो| भला हम तुमसे दूर कइसे रह सकत है| हम दिल है तुम जान हो, हम जर्दा है तुम पान हो, बस अब अपने जर्दा की खातिर आ जाओ तुम्हरे लिए हम बनारसी बीड़ा लगाए के बीइठे हैं|
फ़क्त तुम्हरा
सुरती लाल पनवाड़ी
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ज्ञान का घमंड सबसे बड़ी अज्ञानता है, एंव अपनी अज्ञानता की सीमा को जानना ही सच्चा ज्ञान है।
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