Re: इधर-उधर से
हमारे डाकिया बाबू
चित्र गूगल के सौजन्य से
यह सन 1963 - 64 के आसपास की बात है. उस समय मैं करीब 12 -13 साल का था. उन दिनों हम उत्तर प्रदेश, जिला बिजनौर के नजीबाबाद (NAJIBABAD) नामक स्थान में रहते थे. गर्मियों की छुट्टियों के दौरान मेरा एक खब्त होता था पोस्ट ऑफिस जा कर अपने घर की डाक ले कर आना. उन दिनों चिट्ठियों का आदान प्रदान भी काफी हुआ करता था. शायद ही कोई दिन ऐसा गुज़रता होगा कि जब हमारी कोई चिट्ठी पत्री नहीं आती थी. सो, उन दिनों मेरा रूटीन यह होता था कि सुबह तैयार हो कर 10 बजे के लगभग मैं GPO (मुख्य डाकघर) चला जाता था. पोस्ट ऑफिस हमारे घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर था और मैं वहां पैदल ही जाया करता था. सुबह के उस समय तक पोस्ट ऑफिस में डाक को छांट लिया जाता था और वितरण के लिये सम्बंधित डाकिये को सौंप दिया जाता था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 30-09-2014 at 11:33 PM.
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