Re: लोककथा संसार
लेकिन शहर के पास स्थित चिनशान मठ के धर्माचार्य फाहाई पाईल्यांगची को निशिचर समझता था । उस ने गुप्त रूप से श्य़ुस्यान को उस की पत्नी का रहस्य बताया कि वह सफेद नाग से बदली हुई थी । उस ने श्युस्यान को पाईल्यांगची का असली रूप देखने की एक तरकीब भी बताई। श्युस्यान को फाहाई की बातों से आशंका हुई । चीन का त्वानवू पर्व प्राचीन काल से ही खूब हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। इस उत्सव पर लोग चावल से बनाई मदिरा पीते थे , वे मानते थे कि इससे किसी भी प्रकार के अमंगल से बचा जा सकता है। इस उत्सव को मनाने के दिन श्युस्यान ने फाहाई द्वारा बताए तरीके से अपनी पत्नी पाईल्यांगची को मदिरा पिलाई। इन दिनों पाईल्यांगची गर्भवर्ती थी, मदिरा उस के लिए हानिकर थी, लेकिन पति के बारंबार कहने पर उसे मदिरा का सेवन करना पड़ा। मदिरा पीने के बाद वह सफेद नाग के रूप में बदल गयी, जिस से भय खा कर श्योस्यान की मौत हो गयी। अपने पति की जान बचाने के लिए गर्भवती पाईल्यांगची हजारों मील दूर तीर्थ खुनलुन पर्वत में रामबाण औषधि गलोदर्म की चोरी करने गयी । गलोदर्म की चोरी के समय उस ने जान हथली पर रख कर वहां के रक्षकों से घमासान युद्ध लड़ा , पाईल्यांगची के सच्चे प्रेम भाव से प्रभावित हो कर रक्षकों ने उसे रामबाण औषधि भेंट की । पाईल्य़ांगची ने अपने पति की जान बचायी , श्युस्यान भी अपनी पत्नी के सच्चे प्यार के वशभूत हो गया , दोनों के बीच का प्रेम पहले से भी अधिक प्रगाढ़ हो गया ।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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