Re: डायरी के पन्ने और तुम ......
वो अपने गाईड के रोल में फिर से वापस आ गयी थी..."पता है ये पूरा कनौट प्लेस सर्कल/ब्लॉक में बंटा हुआ है..तुम्हे यहाँ सर्दियों में या फिर किसी बारिश के दिन आना चाहिए तब कनौट प्लेस की खूबसूरती देखते बनती है.सर्दियों में हर दिन यहाँ लोगों का जमावड़ा लगा रहता है..यहाँ बने सीमेंट की बेंच दिन भर लोगों से भरी होती हैं...सामने जो पार्क दिख रहा है उसे सेन्ट्रल पार्क कहते हैं...जाड़ों में लोग दिन भर यहाँ बैठे रहते हैं..छुट्टियाँ में वो यहाँ आ जाते हैं...धुप सेंकते हैं..पिकनिक मनाते हैं.मैं भी क्रिसमस की छुट्टियों में जब आती थी तो हर सन्डे हम सेंट्रेल पार्क या फिर इंडिया गेट के पास पिकनिक मनाते थे.अभी तो गर्मियों के दिन हैं इसलिए यहाँ दोपहर में भीड़ कम होती है.लोग शाम में आते हैं.आज देखो थोड़ी भीड़ जो नज़र आ रही है वो इसलिए है की ये वीकेंड है न..लोग घुमने फिरने निकल जाते हैं.
"वीकेंड?वीकेंड क्या?" मेरे मुहँ से ये प्रश्न ना चाहते हुए भी निकल गया था..जबकि मुझे भी पता था वीकेंड क्या होता है, बस उस समय ये शब्द ज्यादा सुनने को नहीं मिलता था.ऐसे कई शब्द थे जो वो बोल देती थी और मैं विस्मित सा उसे देखने लगता था.उसे लगता की मुझे सच में उनके अर्थ नहीं मालुम हैं, और वो मुझे उनके अर्थ समझाने लगती.मैं बड़े ध्यान से उसकी बातें सुनता, वो तरह तरह के उदाहरण देकर अपनी बातें समझाया करती थी.उसे काफी अच्छा लगता था जब वो वैसी कोई बात जानती थी जो मुझे मालुम नहीं होता था.वो उन बातों को मुझे समझाने का कोई मौका नहीं छोड़ती नहीं.
"हाँ वीकेंड..".उसने कहा.."देखो मुझे इसका हिंदी अर्थ नहीं पता लेकिन सप्ताह के आखिरी दिन को वीकेंड कहते हैं...अब इसका मतलब ये नहीं की सप्ताह का आखिरी दिन सन्डे...मतलब आखिरी काम करने वाला दिन...जैसे फ्राइडे...हाँ, यहाँ कई जगह शनिवार और रविवार दोनों दिन छुट्टियाँ होती हैं.सो यू सी वीकेंड में लोग घुमने निकल जाते हैं.
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