Re: इन्टरनेटप्रेमी
आप हमारे सूत्र पर पधारे। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, इन्टरनेटप्रेमी जी।
आज हम आपसे तमिल-संस्कृति पर कुछ विशेष जानकारी चाहेंगे। हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि आपके द्वारा दी गई जानकारी पढ़कर उत्तर भारतीय हिन्दी भाषी सदस्यों का मुँह आश्चर्य से खुला का खुला रह जाएगा।
प्रायः दो व्यक्ति आपस में भेंट करते समय अथवा एक-दूसरे से विदा होते समय एक-दूसरे का अभिवादन करके शिष्टाचार का परिचय देते हैं। उत्तर भारतीय हिन्दी भाषी प्रायः नमस्ते, नमस्कार, प्रणाम अथवा किसी देवी-देवता का नाम यथा- जय श्रीराम, राधे-राधे, राम-राम इत्यादि कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 'पाँव लागूँ' कहकर भी अभिवादन किया जाता है। पाश्चात्य सभ्यता में गुड मार्निंग, गुड नून, गुड ईवनिंग, हैलो, हाय कहकर एक-दूसरे का अभिवादन किया जाता है। इस्लाम में 'अस्सलाम अलैकुम' और 'वालेकुम अस्सलाम' अथवा 'आदाब' कहकर एक-दूसरे का अभिवादन किया जाता है। सिख मतावलम्बी एक-दूसरे का 'वाहे गुरु' अथवा 'सत श्री अकाल' कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तमिल भाषा में 'नमस्कार' का समकक्ष शब्द 'वणक्कम्' होते हुए भी इस शब्द का प्रयोग एक-दूसरे का अभिवादन करने में नहीं किया जाता। एक-दूसरे से भेंट करते समय 'वणक्कम्' के स्थान पर एक दूसरे शब्द द्वारा एक-दूसरे का अभिवादन किया जाता है और इस शब्द का अर्थ नमस्कार बिल्कुल नहीं होता। इसी प्रकार एक-दूसरे से विदा होते समय जाने वाला तमिल भाषा में वनक्कम् के स्थान पर एक दूसरा वाक्य बोलकर शिष्टाचार का परिचय देता है और विदा करने वाला प्रत्युत्तर में तमिल भाषा में एक दूसरा वाक्य बोलकर शिष्टाचार का परिचय देता है। तमिल भाषा में इन वाक्यों का बोलना ही अभिवादन करने के समतुल्य होता है।
इन्टरनेटप्रेमी जी, आपसे अनुरोध है कि तमिल भाषा के इन वाक्यों पर प्रकाश डालें।
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