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Old 30-11-2013, 01:15 PM   #5
rajnish manga
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Default Re: हाईवे पर संजीव का ढाबा

शादी तो नहीं है भैया जी। पिताजी की अचानक तबियत खराब हो गयी। उन्हें देखने जाना पड़ रहा है।

ओह! क्या हुआ उन्हें?”

अब तो पता नहीं क्या हुआ। दमे के मरीज हैं। मां ने फोन पर बताया कि पिताजी की तबीयत ज्यादा खराब है। जल्दी पहुंचो।

सीरियस हैं?”

हां, शायद!

अब तक मैं समझ चुका था कि यह महाशय बातूनी हैं। केवल समय बिताने के लिए बातें कर रहे हैं, और कोई इनकी समस्या नहीं है।

एक बार हाथ दिखाना।

यह पक्का हो गया कि यह महाशय पंडित हैं, और ज्योतिष का भी ज्ञान रखते हैं।

नहीं पंडित जी, मैं इन बातों को नहीं मानता। बुरा न मानें।

इसमें बुरा मानने की क्या बात है। अच्छी बात है। पर मेरी रोजी रोटी तो यही है।

पर मुझसे हाथ देखने की दक्षिणा भी नहीं मिलती।मैंने हंसकर कहा।

अरे नहीं नहीं, तुमसे इस तरह की कोई इच्छा नहीं थी।

गांव में रहते होंगे।

हाथरस से कुछ पहले ही रमणिया गांव है। वहां और आस पास के गांव वाले मुझे पंडित रामप्रसाद ज्योतिषी के नाम से जानते हैं।

तो इससे गुजारे लायक आमदनी हो जाती है?” मैंने जिज्ञासा जाहिर की।

हां, बच्चे पल रहे हैं। गांव में ही अपना एक मंदिर भी है।

फिर तो आपके मजे हैं पंडित जी!मैं मुस्काराया।

मजे तो क्या, हां गुजारा हो जाता है। खैर छोड़ो, कल का क्रिकेट मैच देखा?”

नहीं।
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