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Originally Posted by dr. Rakesh srivastava
मित्र , काफी दिनों बाद इस लिए लिख पाया क्योंकि किसी के सुझाव पर उत्सुकतावश विगत एक माह से फेस बुक की ख़ाक छान रहा था , इसी व्यस्तता व नए चस्के के कारण लय बिगड़ गयी थी . फलस्वरूप कोई रचना ही नहीं सूझ रही थी .और कोई दूसरी वजह नहीं है देरी की . फिलहाल ये तय है कि जब भी कुछ नया लिख पाऊंगा तो सर्व प्रथम आप लोगों के सम्मुख ही प्रस्तुत होऊंगा .फोरम की तो बात ही कुछ और है .
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एक और शानदार रचना के लिए धन्यवाद और बधाई। डा० साहब, आप फ़ेसबुक से ऊपर हैं, अब हम सब को अपनी रचनाओं (जो हमेशा सहज और आसानी से समझ में आने लायक होती हैं) की आदत डालने के बाद ऐसे गुम मत हो जाया कीजिए।