उभरते इलाकेः उम्मीदों के नए ठौर-ठिकाने
उभरते इलाकेः उम्मीदों के नए ठौर-ठिकाने
बढ़ती आबादी और शहरी जीवन की सीमाओं के विस्तार से देश में शहरों के भीतर रहने के नए ठिकाने तेजी से आकार ले रहे हैं.
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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