दलितों को सम्मान से जीने का हक़ कब मिलेगा?
दलितों को सम्मान से जीने का हक़ कब मिलेगा?
संसद और संसद के बाहर, सामाजिक व राजनैतिक मंचों पर कोई कितना भी आपसी भाईचारे और समभाव की बात करे, हकीकत यही है कि जात पात का ज़हर हमारे समाज की जड़ों तक पहुंचा हुआ है जिसे नारों से या क़ानून से ख़त्म नहीं किया जा सकता. हिन्दू धर्म के जिन ठेकेदारों ने जाति के आधार पर समाज का वर्गीकरण किया तथा ऊंच-नीच के कायदे कानून बनाये हैं, उन्हीं की सक्रिय तथा सच्ची पहल व भागीदारी से इसको दूर किया जा सकता है.
संविधान तथा कानून के बड़े provisions होने के बावजूद दलितों का अपमान व उत्पीड़न जारी है. प्रतिदिन के अखबार तथा National Crime Records Bureau द्वारा समय समय पर जारी आंकड़े इस बात का प्रमाण है की दलितों के विरुद्ध होने वाली ज्यादतियों में कोई कमीं नहीं आ रही. बल्कि सच्चाई तो यह है कि ऐसे अपराधों में निरंतर वृद्धि नज़र आ रही है.
इस सूत्र में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 24-10-2017 at 10:47 PM.
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