Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (तीन/2)
तभी उन लुटेरो में से उनका सरदार आगे बढ़ा और चट्टान के पास आकर बोला “खुल जा सिम सिम ” . तभी उस चट्टान में से एक दरवाजा खुला और एक एक करकेसभी लुटेरे अंदर चले गये . उनके अंदर जाने के बाद दरवाजा बंद हो गया . अलीबाबा वहा पेड़ पर बैठा सब देख रहा था और थोड़ी देर बाद वो सभी 40 लुटेरेउस गुफा से बाहर आ गये . सभी के बाहर आ जाने के बाद सरदार ने वापस “बंद होजा सिम सिम ” कहकर गुफा का दरवाजा बंद कर दिया . अब सभी लुटेरे जिस रस्तेसे आये उसी से वापस चले गये . अलीबाबा फिर भी कुछ देर बैठा रहा ताकि शायदकोई गलती से दुबारा लौटकर ना आ जाए . सब कुछ शांत होने के बाद जब उसे यकीनहो गया कि अब कोई वापस नही आ सकता है , वो पेड़ से नीचे उस चट्टान के नजदीकगया .
वो चट्टान के पास जाकर सोचने लगा कि मै भी कोशिश करके देखता हु जो वोलुटेरे बोल रहे थे . अलीबाबा बोला “खुल जा सिम सिम ” और उस गुफा का दरवाजाखुल गया . अब वो गुफा के अंदर चला गया और वो गुफा बहुत बड़ी जगह थी . उसकेगुफा के अंदर गुस्ते ही गुफा का द्वार बंद हो गये . उस गुफा के अंदर उपर कीओर दरार से रोशनी के कारण सब कुछ दिखाई दे रहा था . अब वो उस गुफा के अंदरघूमकर देखने लगा और उसे उस गुफा में बहुत सारे हीरे ,जवाहरात , सोना , चांदी और कीमती चोरी के सामान बिखरे हुए थे . ऐसा लग रहा था कि लुटेरो नेकाफी समय तक लुटा हुआ सामान यहा रखा हुआ था . उसने वहा से उतना सोना चांदीऔर जवाहरात उठा लिया जितना वो ले जा सकता था .
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|