Re: उपनिषदों का काव्यानुवाद
प्रथम खंड
ॐ केनेषितं पतति प्रेषितं मनः केन प्राणः प्रथमः प्रैति युक्तः।
केनेषितां वाचमिमां वदन्ति चक्षुः श्रोत्रं क उ देवो युनक्ति ॥१॥
किससे है प्रेरित प्राण वाणी, ज्ञानेंद्रियाँ, कर्मेंद्रियाँ।
है कौन मन का नियुक्ति कर्ता, कौन संपादक यहाँ॥
अति प्रथम प्राण का कौन प्रेरक, कौन जिज्ञासा महे।
वाणी को वाणी दाता की, करे कौन मीमांसा अहे॥ [1]
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