View Single Post
Old 28-11-2011, 10:51 PM   #29
GForce
Member
 
GForce's Avatar
 
Join Date: Nov 2011
Location: Banglore/Moscow
Posts: 118
Rep Power: 15
GForce has a spectacular aura aboutGForce has a spectacular aura aboutGForce has a spectacular aura about
Default Re: उपनिषदों का काव्यानुवाद

यत्प्राणेन न प्राणिति येन प्राणः प्रणीयते ।
तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥८॥


प्रेरक प्रवर्तक शक्तिमन, प्रभु नित्य है प्राकृत नहीं।
शुचि रूप उसका वास्तविक , फिर पायें हम कैसे कहीं ?
प्राकृतिक प्राणों की शक्ति सीमा से परे प्रभु मर्म है।
प्रिय प्राण में प्रभु प्रवृत अंश से प्रवृत जीव के कर्म हैं॥ [8]
GForce is offline   Reply With Quote